वोटबैंक की सियासत में उलझी पराली जलाने की समस्या
लुधियाना। खेती बिलों के खिलाफ चल रहे विरोध के बीच सियासी पार्टियां किसानों के दम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की तैयारी में हैं। प्रदेश की कांग्रेस सरकार और विपक्षी अकाली दल व आम आदमी पार्टी भी किसानों की मांगों को जायज बताते हुए उनके आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। इसी वजह से पराली जलाने की समस्या भी वोटबैंक की सियासत में उलझकर रह गई है। धान की कटाई के साथ ही पराली जलाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। किसान नेता कहते हैं कि अगर सरकार पराली निस्तारण के लिए 100 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दे तो वे इसे जलाना बंद कर देंगे। क्योंकि पराली की संभाल पर प्रति एकड़ दो हजार से ढाई हजार रुपए खर्च होते हैं।
पराली जला रहे किसानों पर कार्रवाई करना मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए बड़ी चुनौती है। क्योंकि किसानों के समर्थन में निकाली गई खेती यात्रा से वे किसानों को अपने साथ लाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट पराली जलाने के मामले में पिछले दो सालों से पंजाब व हरियाणा की खिंचाई करती आ रही है। किसानों को सब्सिडी पर पराली निस्तारण की मशीनरी खरीदवाने के लिए पिछले दो सालों में केंद्र सरकार ने छह सौ करोड़ रुपए की सहायता भी राज्य सरकार को दी। परंतु पराली जलने के मामले नहीं रुक रहे।