दो भारतीय महिलाओं ने पेश की इंसानियत की मिसाल : शकील अहमद को जिंदा रखेगी मनप्रीत कौर की किडनी, शकीला की किडनी फिट करके बचाई मनवीर सिंह की जान

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दो भारतीय महिलाओं ने पेश की इंसानियत की मिसाल : मुस्लिम बहन ने भाई की जान बचाने को सिख मरीज को दी अपनी किडनी, सिख मरीज की पत्नी मुस्लिम मरीज के लिए बनी जीवनदायिनी

 

लुधियाना (राजकुमार साथी) बदलने लाइफ स्टाइल और तेजी से बढ़ रही हाई ब्लड प्रेशर शुगर की बीमारी के कारण भारत में हर साल डेढ़ लाख मरीजों की किडनी फेल होती है। मगर करीब एक हजार लोगों को ही ट्रांसप्लांट के लिए अंग मिल पाते हैं। इसका कारण हमारे देश में अंगदान को लेकर फैली भ्रांतियां हैं और समय पर ऑर्गन (किडनी लिवर) ट्रांसप्लांट नहीं हो पाने के कारण कीमती जिंदगियां मौत के मुंह में समा जाती हैं। लगातार बढ़ रही किडनी फेलियर की समस्या के कारण दुनिया भर में हर रोज लाखों ट्रांसप्लांट सर्जरी होती हैं, मगर 14 अक्टूबर को लुधियाना के अकाई अस्पताल में हुई किडनी ट्रांसप्लांट की स्वैप सर्जरी ने इंसान को हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, काले, गोरे नस्लीय भेदभाव की नजर से देखने वाले लोगों के मुंह पर करारा तमाचा मार दिया है।

शकीला की किडनी फिट करके बचाई मनवीर सिंह की जान

मलेरकोटला की शकीला ने फतेहगढ़ साहिब के मनवीर सिंह को किडनी दान की

दरअसल, इस सर्जरी ने जातीयता धर्म के नाम पर फैलाई जा रही नफरत को खत्म करके सच्ची इंसानियत का संदेश दिया है। अकाई अस्पताल के चेयरमैन, चीफ यूरोलॉजिस्ट किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. बलदेव सिंह औलख ने शकीला की किडनी  पॉजिटिव ग्रुप मनवीर सिंह को लगाई और सिख परिवार की महिला की किडनी मुस्लिम धर्म के मरीज को लगाकर दोनों मरीजों को जीवन दान देने के साथ ही इंसानियत सिखाने वाली मिसाल के प्रत्यक्षदर्शी गवाह बन गए। फतेहगढ़ साहिब का बस ड्राइवर मनवीर सिंह और मलेरकोटला में रेडिमेड कपड़ों का काम करने वाले शकील अहमद पिछले दोढाई साल से दोनों किडनियां फेल होने के कारण डायलसिस के सहारे जी रहे थे। किस्मत की बानगी देखिए कि दोनों ही मरीजों के पारिवारिक सदस्यों की किडनी उनसे मैच नहीं कर पा रही थी। लिहाजा डॉ. औलख ने दोनों मरीजों और उनके पारिवारिक सदस्यों के एकसाथ टेस्ट कराए।

शकील अहमद को जिंदा रखेगी मनप्रीत कौर की किडनी

फतेहगढ़ साहिब की मनप्रीत कौर ने मलेरकोटला के शकील अहमद को अपनी किडनी दान की

43 वर्षीय शकील अहमद की बहन शकीला की किडनी का बी पॉजिटिव ग्रुप मनवीर सिंह से मैच कर गया और 30 वर्षीय मनवीर सिंह की पत्नी मनप्रीत कौर की किडनी का पॉजिटिव ग्रुप शकील अहमद से मैच हो गया। इसके बाद डॉ. औलख ने दोनों परिवारों की काउंसलिंग की और उन्हें दोनों मरीजों की जान बचाने के लिए एकदूसरे के परिवार को किडनी दान करने की सलाह दी। सोचविचार करने के बाद दोनों परिवार इससे सहमत हो गए। इसके बाद  दोनों परिवारों के दानकर्ताओं ने अधिकृत कमेटी के सामने लिखित तौर पर कंसेट दी।

अकाई अस्पताल के चेयरमैन, चीफ यूरोलॉजिस्ट व किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. बलदेव सिंह औलख

सारी कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद दोनों मरीजों और दोनों डोनरों के 14 अक्टूबर को एक साथ ऑपरेशन थिएटर में लिटाकर किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई। थिएटर के भीतर की शकीला की किडनी निकालकर मनवीर सिंह और मनप्रीत कौर की किडनी निकालकर शकील अहमद को लगा दी गई। ट्रांसप्लांट के बाद दोनों स्वस्थ हैं और दोनों को छुट्टी देकर घर भेज दिया गया है। डॉ. औलख के मुताबिक स्वैप सर्जरी (चार ऑपरेशन एक साथ) करना इस लिए भी जरूरी था, ताकि किसी के मन में आशंका ना रहे कि पहले किडनी लेने वाला परिवार बाद में दूसरे को किडनी देगा या नहीं। इस लिए मौके पर ही दोनों किडनियों का आदानप्रदान कर दिया गया। इंसानियत की सही राह दिखाने और भाईचारे को बढ़ावा देने वाली इस स्वैप सर्जरी का पता लगने पर पंजाब के गवर्नर महामहिम बीपी सिंह बदनौर, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह लुधियाना जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम मोहम्मद उस्मान ने खुशी भरा संदेश भेजकर दोनों परिवारों और सर्जरी करने वाली टीम को बधाई दी। 

 

बाऊ जी जद मौत सामणे होवे तां बंदा जातपात सब भुल्ल जांदा

फतेहगढ़ साहिब का मनवीर सिंह अपनी पत्नी मनप्रीत कौर के साथ

मुस्लिम परिवार की महिला शकीला की किडनी पाकर नया जीवन हासिल करने वाले फहेतगढ़ साहिब निवासी मनवीर सिंह ने कहा कि बाऊ जी जद मौत सामणे होवे तां बंदा जातपात सब भुल्ल जांदा (जब मौत सामने हो तो व्यक्ति जातपात सबकुछ भूल जाता है) मनवीर ने बताया कि उसकी शादी करीब सवा तीन साल पहले मनप्रीत कौर से हुई थी। परिवार में तीन लोग हैं, उनके साथ 52 वर्षीय मां जसविंदर कौर भी रहती है। वह बस में ड्राइवरी करता था। अचानक ब्लड प्रेशर बढऩे लगा। चेक कराया तो पता चला कि किडनी ने काम करना बंद कर दिया है। ढाई साल पहले जब डायलसिस शुरू हुए तो ड्राइवरी का काम भी छूट गया। विदेश में रह रही बहन मदद करती रही। अकाई अस्पताल में आए तो सबसे पहले मां के साथ मैचिंग की कोशिश की गई। मैचिंग तो हो गई, मगर मां को ब्लड प्रेशर शुगर की शिकायत है, इस कारण उनकी किडनी नहीं ली जा सकती थी। फिर जब डॉ. औलख ने शकीला बहन की किडनी लगाने की बात की तो उन्होंने बिना देर किए हामी भर दी। मनवीर ने कहा कि भले ही हमारे देश में जातपात के नाम पर एकदूसरे को लड़ाने वाले बहुत लोग हैं, मगर वह (मनवीर) पहले से ही जातपात में विश्वास रखता था। अब तो बहन शकीला के साथ उसका खून का रिश्ता बन गया है।

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सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है, जातधर्म केवल राजनीति के लिए रह गया है

मलेरकोटला का शकील अहमद अपनी बड़ी बहन शकीला के साथमलेरकोटला में रेडिमेड कपड़े का कारोबार करने वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाले शकील अहमद का कहना है कि किसी भी धर्म ग्रंथ को पढ़ लो, सभी ने इंसानियत को ही सबसे बड़ा धर्म बताया है। सभी धार्मिक ग्रंथ मानवता की सेवा करने और आपसी भाईचारे का संदेश देते हैं। जातपात और धर्म के नाम पर लड़ाने का काम केवल राजनीति करने वालों तक ही सीमित है। हर इंसान के अंदर एक ही तरह की आत्मा और एक ही तरह के शारीरिक अंग होते हैं। बड़ी बहन शकीला तो है ही थी, इस बीमारी के बहाने अल्लाह ने मनप्रीत कौर के तौर पर छोटी बहन भी दे दी है।

मेरी जिंदगी तो बहन मनप्रीत की कर्जदार हो गई है। भले ही कारण बीमारी बनी हो, लेकिन दो परिवार एक हो गए हैं। यह एक अच्छी बात है और हमें समाज में इसी तरह एकदूसरे का सहारा  बनकर रहना चाहिए। शकील अहमद की अभी तक शादी नहीं हुई थी और जिस बहन शकीला ने उसकी जान बचाने के लिए मनवीर को किडनी दी, उसके पति का इंतकाल हो चुका है और वह अपने भाई के साथ ही रहती है।

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