कोर्ट पहुंचा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद, जन्मस्थान पर मस्जिद बनाने का आरोप
मंदिर पक्ष के मांगा शाही मस्जिद की जमीन समेत 13.37 एकड़ रकबे का मालिकाना हक
लखनऊ। श्री कृष्ण जन्मभूमि पर कब्जा कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाने का मामला अब मथुरा की कोर्ट में पहुंच गया है। मंदिर पक्ष ने केस दायर कर शाही मस्जिद की जमीन समेत 13.37 एकड़ रकबे पर मालिकाना हक मांगा गया है।
श्रीकृष्ण विराजमान के वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि याचिका को स्वीकार करते हुए जिला अदालत ने इस मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अलावा शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान समेत 4 पार्टियों को नोटिस भेजा। याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री ने बताया कि 25 सितंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मगर 30 सितंबर को यह याचिका खारिज कर दी गई थी। अब जिला कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली है। रंजना ने बताया कि जिस जगह पर शाही ईदगाह मस्जिद खड़ी है, उस जगह कारागार था, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। यह याचिका श्रीकृष्ण विराजमान, स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि कटरा केशव देव केवट, रंजना अग्निहोत्री, प्रवेश कुमार, राजेश मणि त्रिपाठी, करुणेश कुमार शुक्ल, शिवाजी सिंह व त्रिपुरारी तिवारी की ओर याचिका दाखिल की गई है।
1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाकर यह तय किया गया कि वहां दोबारा भव्य मंदिर का निर्माण होगा और ट्रस्ट उसका प्रबंधन करेगा। इसके बाद 1958 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन किया गया था। कानूनी तौर पर इस संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था, लेकिन इसने ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं। इस संस्था ने 1964 में पूरी जमीन पर नियंत्रण के लिए एक सिविल केस दायर किया, लेकिन 1968 में खुद ही मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता कर लिया। इसके तहत मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और उन्हें (मुस्लिम पक्ष को) उसके बदले पास की जगह दे दी गई। श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मस्जिद 13.37 एकड़ में बनी हुई है। इसमें 10.50 एकड़ भूमि पर वर्तमान में श्रीकृष्ण विराजमान का कब्जा है। लेकिन, याचिकाकर्ता ने पूरी जमीन पर मालिकाना हक मांगा है।