हाथरस केस : सुरक्षा के नाम पर पीडि़त परिवार को बनाया बंदी, किसी से भी मिलने की इजाजत नहीं
लखनऊ। सुप्रीमकोर्ट की ओर से सवाल उठाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस के गांव बूलगढ़ी के पीडि़त परिवार की सुरक्षा कड़ी कर दी है, लेकिन परिवार का आरोप है कि सुरक्षा के नाम पर उन्हें घर में बंदी बनाया गया है। वे किसी से भी खुलकर नहीं मिल सकते।
घर पर सीसीटीवी कैमरा लगाने के साथ ही पीडि़त परिवार के हर मेंबर की सुरक्षा में दो–दो पुलिसकर्मी तैनात हैं। इसके साथ ही घर के बाहर पीएसी का पहरा भी है। इतनी सुरक्षा परेशानी का सबब बनने पर पीडि़त परिवार राहत के लिए हाई कोर्ट पहुंचा है। जिसमें उन्होंने किसी से भी खुलकर मिलने और बात करने की इजाजत मांगी है। कोर्ट के आदेश पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने पीड़िता के परिवार की सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त किया है।
हाथरस में पीडि़ता के घर पर बुधवार को ही मेटल डिटेक्टर और सीसी कैमरे लगाए गए। वहां चौबीसों घंटे पुलिस की तैनाती की गई है। मेटल डिटेक्टर घर के एंट्री प्वॉइंट पर लगाया गया है जहां हर आने–जाने वाले का नाम और पता दर्ज किया जा रहा है। घर के बाहर भी कई स्थानों पर सीसी कैमर लगाए गए हैं। परिवार की सुरक्षा के अलावा गांव में तनाव को देखते हुए बड़ी संख्या में अतिरिक्त फोर्स की तैनाती भी की गई है। हाथरस के एसडीएम ने कहा कि यह सारी व्यवस्था परिवार की सहमति से की गई है, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र कुमार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि वहां पर पुलिस –प्रशासन की बंदिशों के चलते पीडि़त परिवार घर में कैद सा होकर रह गया है।
बंदिशों के चलते तमाम लोग मिलने नहीं आ पा रहे हैं। परिवार किसी से खुलकर अपनी बात नहीं कह पा रहा है। सरकारी अमला घर से बाहर नहीं निकलने दे रहा है। अर्जी में कहा गया कि इंसाफ पाने के लिए पीडि़त परिवार से बंदिशें हटना जरूरी है। सुरेंद्र कुमार ने दावा किया कि उन्होंने पीडि़त परिवार की तरफ से अर्जी दाखिल की है। पीडि़त परिवार ने उन्हें फोन पर उनकी तरफ से अर्जी दाखिल करने और कोर्ट से दखल देने की मांग करने को कहा है।