हाथरस गैंगरेप मामला : सुप्रीमकोर्ट में सौंपी फॉरेंसिक रिपोर्ट में रेप का जिक्र नहीं यूपी सरकार से बोले चीफ जस्टिस : यह घटना भयावह और असाधारण थी
सरकार से पूछे तीन सवाल
पीडि़त परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं?
क्या पीडि़त परिवार ने वकील चुन लिया है?
क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही से इस केस का दायरा बढ़ सकता है?
नई दिल्ली। हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से जो फॉरेसिंक रिपोर्ट सौंपी गई, उसमें रेप के सबूत नहीं मिलने का जिक्र किया गया है। हालांकि रिपोर्ट देखने के बाद माननीय मुख्य न्यायाधीश एस.ए.बोबड़े ने कहा कि यह घटना भयावह और असाधारण थी।
चीफ जस्टिस ने याचिकर्ता की वकील इंदिरा जयसिंह से कहा कि हाथरस की घटना भयानक और चौंकाने वाली थी। हम नहीं चाहते कि बार–बार दलीलें दोहराई जाएं। आपको इसलिए सुन रहे हैं, क्योंकि यह असाधारण मामला है। हम सुनिश्चित करेंगे कि जांच सही तरीके से हो। कोर्ट ने यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि पीडि़त परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं? एफिडेविट देकर बताएं। इस मामले में अगले हफ्ते फिर सुनवाई होगी। इसके साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायलय ने पूछा कि क्या पीडि़त परिवार ने वकील चुन लिया है और क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही से इस केस का दायरा बढ़ सकता है। इसके जवाब में सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पीडि़त परिवार को पहले ही सुरक्षा मुहैया करवाई जा चुकी है। कोर्ट के बाहर कई तरह की बातें हो रही हैं। किसी केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाने और निगरानी रखने से यह सिलसिला रुक सकता है।
इससे पहले यूपी सरकार की ओर से कोर्ट में दिए गए एफिडेविट में कहा गया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच के आदेश दिए जाएं। सुप्रीम कोर्ट को खुद भी इस जांच की निगरानी करनी चाहिए। सरकार की तरफ से कहा गया कि इंटेलिजेंस से इनपुट मिला था कि इस मामले को जातिवाद का मुद्दा बनाकर हिंसा भडक़ाने की साजिश रची जा रही है। इस कारण पीडि़ता का अंतिम संस्कार रात में किया गया। दिन में अंतिम संस्कार करने पर लाखों प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो सकते थे।
एसआईटी ने लिया घटनास्थल का जायजा
यूपी सरकार की तरफ से बनाई गई एसआईटी ने गांव बूलगढ़ी में घटनाथल का जायजा लिया। वह बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस मामले की हाईलेवल जांच की अर्जी लगाने वाले सोशल एक्टिविस्ट सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने अपील की है कि इस केस की जांच सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या मौजूदा जज या फिर हाईकोर्ट के जज से करवाई जाए।
हाथरस केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की अपील
याचिकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि हाथरस केस दिल्ली ट्रांसफर किया जाए। क्योंकि यूपी पुलिस–प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ सही कार्रवाई नहीं की। पीडि़त की मौत के बाद पुलिस ने जल्दबाजी में रात में ही शव जला दिया। पुलिसवाले ने खुद चिता को आग लगाई और मीडिया को भी वहां नहीं आने दिया था। पुलिस ने पीडि़त के लिए अपनी ड्यूटी निभाने की बजाय आरोपियों को बचाने की कोशिश की। ऊंची जाति के लोगों ने पीडि़त के परिवार का शोषण किया, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।