सिविल अस्पताल के रिहायशी क्वार्टर्स पर मुलाजिमों का कब्जा!

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बेमानी हो चुके हैं सिविल सर्जन की ओर से क्वार्टर्स को खाली कराने के आदेश

लुधियाना (राजकुमार साथी)। जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सिविल हॉस्पिटल के साथ लगते रिहायशी क्वार्टर्स को दर्जन भर मुलाजिमों ने अपनी निजी संपत्ति मान लिया है। इसी कारण रिटायरमेंट के कई सालों बाद भी मुलाजिमों के परिवार इन क्वार्टर्स पर कब्जा जमाए बैठे हैं। क्योंकि यह कब्जाधारी न तो किसी तरह का कोई किराया सेहत विभाग को देते हैं और न ही बिजली का बिल। ऐसा नहीं है कि सेहत अधिकारियों तो इसकी जानकारी नहीं हैं, बल्कि सिविल सर्जन स्तर तक के अधिकारी कई बार इन क्वार्टर्स को खाली कराने के आदेश जारी कर चुके हैं, मगर इन कब्जाधारी मुलाजिमों पर इन आदेशों का कोई असर नहीं हो रहा। लिहाजा पिछले चार साल से इन कब्जाधारियों को अतिक्रमकारी घोषित करने के बावजूद यह सरकारी क्वार्टर्स खाली नहीं कराए जा सके हैं। मौजूदा सिविल सर्जन डॉ. जसबीर सिंह औलख इस तरह की जानकारी होने से इंकार कर रहे हैं।

बताते चलें कि फील्ड गंज इलाके में स्थित लॉर्ड महावीर सिविल अस्पताल के साथ ही करीब चार दर्जन रिहायशी क्वार्टर्स बने हुए हैं। जो सिविल अस्पताल में तैनात स्टाफ को विधिवत रूप से अलाट करने के लिए बनाए गए थे। इन क्वार्टर्स को अलाट कराने वाले स्टाफ सदस्य के वेतन से क्वार्टर का निर्धारित किराया काटने का नियम है, जिसे इन क्वार्टर्स में रह रहे पचास फीसदी के करीब मुलाजिम मानते भी हैं, मगर बाकी के पचास फीसदी क्वार्टर्स पर रिटायर हो चुके मुलाजिमों और ठेकेदार के अधीन काम कर रहे मुलाजिमों ने कब्जा जमा रखा है। यह मुलाजिम न तो किसी तरह का किराया सेहत विभाग को देते हैं और न ही बिजली का बिल। कई मुलाजिम तो सीधे कुंडी क्नेक्शन से ही सरेआम बिजली चोरी कर रहे हैं। मगर सब कुछ जानते हुए सेहत विभाग इन मुलाजिमों से न तो क्वार्टर्स खाली करवा पा रहा है और न ही इन्हें बिजली चोरी करने से रोक रहा है। हालात यह हो चुके हैं कि 2020 में बनी जांच समिति की रिपोर्ट की जिस रिपोर्ट में इन क्वार्टर्स पर कब्जा होने और बिजली बिल का बोझ सिविल अस्पताल पर पडऩे की बात कही गई थी, वह भी विभाग के फाइलों में बंद पड़ी है।

आइए जानते हैं जांच समिति की रिपोर्ट के बारे में

चार साल पहले सिविल सर्जन के आदेश पर बनी जांच समिति में मेडिकल अफसर डॉ. रमनदीप कौर, मेडिकल अफसर डॉ. कुलवंत सिंह, कार्यकारी मैट्रन भूपिंदर कौर, फार्मासिस्ट निरंजन सिंह, अमला सुपरिटेडेंट भारत भूषण शर्मा, क्लर्क लखबीर सिंह, स्टेनोटाइपिस्ट रमनदीप बाली व दर्जा चार कर्मचारी राजेश जोशी शामिल थे। इस समिति ने 11 जून 2020 को अपनी रिपोर्ट तत्कालीन सिविल सर्जन को सौंपी थी। समिति ने सभी क्वार्टर्स का निरीक्षण करने के बाद उन मुलाजिमों की सूची तैयार की थी, जिन्होंने इन क्वार्टर्स पर कब्जा कर रखा है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा था कि यह मुलाजिम कुंडी क्नेक्शन लगाकर बिजली चोरी भी कर रहे हैं।

समिति ने इन मुलाजिमों को बताया था कब्जाधारी

समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि ठेकेदार के पास काम कर रहे सफाई कर्मचारी लवली, रीटा, सनी, अनीता जोशी, ममता, सतनाम, रेखा, प्रियंका, रवि तिवारी, कृष्णा, शशि, सुनीता व राजू, ग्रेटस इंडिया लिमिटेड कंपनी के अधीन काम कर रहे कंप्यूटर ऑपरेटर राजिंदर जैन, दर्जा चार कर्मचारी रुपेश (10 साल से), रिटायर हो चुकी दर्जा चार कर्मचारी लखबीर कौर के परिवार (20 साल से), लावारिस लाश उठाने वाले बॉबी, रिटायर हो चुके माली (30-35 साल से), रिटायर हो चुकी दर्जा चार कर्मचारी रजनी के परिवार (22 साल से) ने सरकारी क्वार्टर्स पर कब्जा कर रखा है।

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

मौजूदा सिविल सर्जन डॉ. जसबीर सिंह औलख का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं थी। आज ही जानकारी मिली है। वे इस संबंध में सिविल अस्पताल की एसएमओ को इस मामले को देखने और जरूरी कार्रवाई करने के लिए कहेंगे।

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