हाईकोर्ट ने कहा : वीआईपी सिक्योरिटी के मामले में रिव्यू करे सरकार
लुधियाना (राजकुमार साथी)। वेरी इंपोर्टेट पर्सन (वीआईपी) की सुरक्षा वापस लेने और कइयों की सुरक्षा कम करने के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को झटका देते हुए कहा कि सरकार इस मामले में रिव्यू करे। उच्च न्यायालय ने कहा कि रिव्यू का काम पूरा हो जाने तक मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था बनी रहनी चाहिए तथा जिनकी सुरक्षा वापस ली गई थी, उन्हें एक-एक सुरक्षा कर्मी दिया जाए। मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार जस्टिस राज मोहन सिंह ने इस मामले को लेकर 45 याचिकाओं का निपटारा करते हुए पंजाब सरकार को यह आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सुरक्षा किसी का अधिकार नहीं है और न ही रुतबे और स्टेटस के लिए सुरक्षा दी जा सकती है। सुरक्षा खतरे का आंकलन करने के बाद उन्हें ही दी जाए, जिनकी सुरक्षा को वास्तविक खतरा है। बता दें, पंजाब के 424 वीआइपी सुरक्षा वापस लिए जाने या कम किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थी। नेताओं ने कहा था कि पंजाब सरकार ने उनकी सुरक्षा वापिस लेकर उन पर खतरे को और भी बढ़ा दिया है। इतना ही नहीं सुरक्षा वापस लिए जाने के आदेशों को सार्वजनिक कर दिया गया, जिससे हर किसी को पता चल गया कि किसकी कितनी सुरक्षा वापस ली जा चुकी है या कम की गई है। इससे उन पर और भी खतरा बढ़ गया है। इसके जवाब में पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि 6 जून को घल्लूघारा दिवस के चलते यह सुरक्षा वापस ली गई थी और 7 जून से पुरानी सुरक्षा बहाल कर दी गई। जहां तक इस सूची के सार्वजनिक होने का मामला है उसकी जांच की जा रही है। सुरक्षा वापस लिए जाने के खिलाफ पूर्व उपमुख्यमंत्री ओपी सोनी सहित बलबीर सिंह सिद्धू, गुरचरण सिंह बोपाराय, सुखविंदर सिंह, कृष्ण कुमार, देश राज दुग्गा, गुलजार सिंह रणिके, सुच्चा सिंह छोटेपुर सहित 45 ने भी याचिकाएं दायर की थी। सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद मामले ने तूल पकड़ा था।