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टोटल हिप और नी रिप्लेसमेंट ट्रांसप्लांट के लिए ज्यादा सेफ है रोबोटिक सर्जरी

90 से 95 फीसदी है सक्सेस रेट, कम होता है खून का नुकसान, बिल्कुल सटीक फिट होते हैं जोड़ : डॉ. संजीव महाजन

टोटल हिप और नी रिप्लेसमेंट ट्रांसप्लांट के लिए ज्यादा सेफ है रोबोटिक सर्जरी

लुधियाना। फोर्टिस अस्पताल लुधियाना के ऑर्थोपेडिक्स, रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट एंड स्पोर्ट्स मेडिसिन विभाग की ओर से रोबोटिक सर्जरी का लाइव प्रदर्शन किया गया। इसके जरिए विभाग के डायरेक्टर डॉ. संजीव महाजन ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से टोटल हिप व नी रिप्लेसमेंट कराना पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें सक्सेस रेट 90 से 95 फीसदी है और इसमें कम ब्लड लॉस के साथ फास्ट रिकवरी का लाभ भी मिलता है। रोबोटिक सर्जरी में जोड़ बिल्कुल सटीक फिट होते हैं और इसमें कमी रहने की गुंजाइश नहीं होती। रोबोटिक सर्जरी के लाइव प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा कि रोबोट सर्जरी होने के बाद मरीज को यह एहसास ही नहीं रहता कि उसकी सर्जरी हुई है। क्योंकि इस सर्जरी के बाद मरीज एकदम सामान्य जीवन जी सकता है। इस तकनीक को अपनाने वाले डॉक्टर के लिए रोबोट के हाथों को नियंत्रित करने की विशेषता जरूरी है। इस तकनीक से इम्प्लांट सर्जन की स्पीड बढ़ती है और इंप्लांट किए जाने वाले घुटने व कूल्हे की आयु भी लंबी हो जाती है। क्योंकि इसमें सटीकता को प्राथमिकता दी जाती है। घुटना रिप्लेसमेंट के लिए रोबोटिक्स सर्जिकल सिस्टम सर्जिकल टेबल पर घुटने के जोड़ का एक सटीक और अनुकूल 3-डी मॉडल बनाने में मदद करता है। जो पूरी तरह फिट बैठता है और इसमें कमी की कोई गुंजाइश नहीं रहती। इसकी मदद से सर्जन ऑपरेटिंग रूम में ही मरीज के लिए सही प्लानिंग कर सकता है। सर्जरी के दौरान ब्लड लॉस कम होता। अगर जोड़ से कोई हड्डी हटाने की जरूरत होती है तो वह संरचना को बिना कोई नुकसान पहुंचाए हटाई जा सकती है। इससे घुटना एकदम स्वाभाविक लगता है और रोगी को भी यह एहसास नहीं रहता कि उसकी रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई है।

फोर्टिस हॉस्पिटल लुधियाना के ज़ोनल डायरेक्टर डॉ. विश्वदीप गोयल ने कहा कि रोबोटिक तकनीक जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी को अगले लेवल तक ले आई है। इससे मरीज ज्यादा संतुष्ट हैं। क्योंकि उन्हें ज्यादा समय अस्पताल में भी नहीं रहना पड़ता और वह जल्दी ही डिस्चार्ज होकर अपने घर जा सकता है। इस तकनीक से सर्जरी होने पर किसी तरह की इंफेक्शन होने की आशंका भी नहीं रहती। रोबोटिक्स तकनीक से सर्जरी कराने के बाद मरीज को ज्यादा फिजियोथैरेपी कराने की जरूरत भी नहीं रहती।

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