पुलिस, वन विभाग और रेवेन्यू विभाग के अफसर हैं दोषी पाए गए लोग
लुधियाना (राजकुमार साथी)। मद्रास हाईकोर्ट ने 31 साल पहले हुए रेप केस मामले में 215 सरकारी अफसरों को दोषी ठहराया है। दोषियों में पुलिस, वन विभाग और रेवेन्यू विभाग के अफसर शामिल हैं। तामिलनाडू के गांव वथची में 1992 में चंदन की लकड़ी ढूंढने के लिए इन अफसरों ने 18 आदिवासी समुदाय की महिलाओं का रेप किया था। इसके साथ ही कई पुरुषों को भी टार्चर किया था। 20 जून 1992 को वन विभाग, रेवेन्यू विभाग और पुलिस अधिकारियों की टीम ने वाथची गांव में रेड डाली थी। यह लोग यहां चंदन की लकड़ी ढूंढने आए थे। इन अधिकारियों ने गांव के आदिवासी लोगों को चंदन तस्कर वीरप्पन का समर्थक बताते हुए उनके साथ दरिंदगी की थी। इस मामले में दर्ज हुए केस की सुनवाई करते हुए 2011 में निचली अदालत ने इन लोगों को दोषी ठहराया था। आरोपियों ने इसके खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
जिसकी सुनवाई करते हुए 29 सितंबर 2023 को मद्रास हाईकोर्ट ने निचली कोर्ट का फैसला बरकरार रखा था। इस मामले में दोषी बनाए गए कुल 269 लोगों में से 126 वन विभाग के अधिकारी, 84 पुलिसवाले और रेवेन्यू विभाग के 5 अधिकारी शामिल थे। 2011 में सुनवाई होने तक 54 लोगों की मौत हो चुकी थी। निचली अदालत ने सभी दोषियों को एक से लेकर 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई थी और हर दोषी को 10 लाख रुपए जुर्माना अदा करने का आदेश दिया गया था। यह राशि रेप की पीडि़त 18 महिलाओं को दी जानी थी। दोषियों ने 5-5 लाख रुपए जमा भी करा दिए थे। जबकि 5-5 लाख रुपए अभी बकाया हैं। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह तत्कालीन जिला क्लेक्टर, एसपी और डीएफओ के खिलाफ एक्शन लें, क्योंकि इन अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की थी। इसके साथ ही सभी पीडि़तों को सरकारी नौकरी व उनके परिजनों को स्व-रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएं।