श्रीराम लला प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा पर बोले आदि धर्म गुरू स्वामी चंद्रपाल अनार्य : कुछ लोग नकारा करते थे रामायण के अस्तित्व को, श्रीराम के साथ-साथ हुई भगवान वाल्मीकि की जय-जयकार
लुधियाना (राजकुमार साथी)। जब से वाल्मीकिन समाज के मनिषियों ने धर्म समाज की स्थापना कर भगवान वाल्मीकि जी के नाम का प्रचार-प्रसार तेज किया तो देश भर में रामायण पर भी चर्चा शुरू हो गई। जब षडयंत्रकारी ताकतों ने श्रीराम सेतु के निर्माण पर सवाल उठाते हुए इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दिया था, तब भी भगवान वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण ने श्रीराम सेतु को सत्यापित किया था। अब अयोध्या में श्रीराम लला प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद रामायण पूरी तरह साकार हो गई है और रामायण को काल्पनिक ग्रंथ और मिथियास बताने वाले लोगों के मुंह पर करारा तमाचा लगा है। यह कहना है कि भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (भावाधस) के आदि धर्म गुरू स्वामी चंद्रपाल अनार्य का।
स्वामी जी ने कहा कि रामायण सनातनी संस्कृति में विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक ग्रंथ है, जिसे श्रीराम के जन्म से हजारों साल पहले भगवान वाल्मीकि जी द्वारा रचा गया था। अब पूरी दुनिया यह मान रही है कि भगवान वाल्मीकि जी की कलम ने ही विश्व को श्रीराम के कौतुकों से परिचित कराया था। हालांकि कुछ तथाकथित मंदबुद्धि और कट्टरपंथी लोग भगवान वाल्मीकि जी की बढ़ती ख्याति को हजम नहीं कर पा रहे थे और उन्होंने उनकी विश्व प्रसिद्ध धार्मिक रचना रामायण को काल्पनिक बताते रहे हैं। लेकिन आज श्रीराम के नाम पर बने अध्यात्मिक माहौल के बीच जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अयोध्या में निर्मित श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में श्रीराम लला जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई तो चारों तरफ जहां जयश्री राम का जयघोष हो रहा था, वहीं भगवान वाल्मीकि जी का नाम भी पूरे विश्व में गूंज रहा था और भगवान वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण साकार हो रही थी। उन्होंने कहा कि पूरा वाल्मीकिन समाज इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद करता है। फरवरी माह में भावाधस का प्रतिनिधिमंडल भी अयोध्या पहुंचेगा।
इसी तरह भावाधस के राष्ट्रीय निर्देशक व राजनीतिक विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरश्रेष्ठ नरेश धींगान ने कहा कि जो काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है, उसे देश की सत्ता पर आसीन रही कोई भी सरकार नहीं कर पाई है। यह केवल श्रीराम मंदिर का निर्माण नहीं है, बल्कि अध्यात्म के क्षेत्र में भारत के विश्व गुरू बनने की ओर बढ़ता हुआ कदम है। आज उनकी षडयंत्रकारी ताकतों के मुंह पर करारा तमाचा लगा है, जो भगवान वाल्मीकि जी को वाल्मीकिन समाज से दूर करने और विश्व के सबसे महान धार्मिक ग्रंथ रामायण को काल्पनिक बताकर देशवासियों को गुमराह किया करते थे। उन्होंने कहा कि गत दिनों जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बने भगवान वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था तो उन्होंने श्रीराम के मुख से भगवान वाल्मीकि जी की उपमा के लिए निकला उस श्लोक का उच्चारण किया था, जिसमें श्रीराम ने स्वयं भगवान वाल्मीकि जी को तीनों लोकों का मालिक बताते हुए पूरी धरती को उनके हाथ पर रखे बेर के समान बताया था। आज श्रीराम लला प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा से पूरा वाल्मीकिन समाज हर्षोल्लित है। जल्द ही इस उत्कृष्ठ कार्य के लिए भावाधस की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को सम्मानित किया जाएगा।