वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए सरकार को विशेष उपाय सुझाए
लुधियाना (दीपक साथी)। सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा ने सोमवार को राज्यसभा के चालू सत्र में देशभर में नाबालिगों द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाने का गंभीर मुद्दा उठाया, अपनी चिंताएं व्यक्त कीं और सरकार को इस मुद्दे से निपटने के लिए सुझाव दिए। देश में नाबालिगों द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए अरोड़ा ने कहा कि हाल ही में पुणे में हुई सड़क दुर्घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। उन्होंने इस सड़क दुर्घटना को भयावह बताया। उन्होंने कहा कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पुणे में संचालित करीब 100 पबों में से केवल 23 के पास ही लाइसेंस है। अरोड़ा ने बताया कि नाबालिगों द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाना एक बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में ही इस चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में नाबालिगों द्वारा गाड़ी चलाने के चालानों में पिछले साल की तुलना में 573 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि नाबालिगों के शराब पीने पर लगाम लगाने के लिए फर्जी पहचान पत्र एक और बड़ी चुनौती है। अरोड़ा ने मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए सरकार को खास उपाय सुझाए। उन्होंने प्रतिष्ठानों का नियमित और औचक निरीक्षण करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने नाबालिग ग्राहकों को शराब परोसकर कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए सख्त सजा की वकालत की। इसके अलावा, अरोड़ा ने युवा और आम लोगों को शिक्षित करने के लिए जन जागरूकता अभियान शुरू करने का सुझाव दिया, जिसमें नाबालिगों के शराब पीने से जुड़े कानूनी परिणाम, स्वास्थ्य जोखिम, नशे की लत की संभावनाओं पर प्रकाश डाला जाये। अरोड़ा ने सरकार को कम उम्र में शराब पीने की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति विकसित करने के लिए आतिथ्य उद्योग, शैक्षणिक संस्थानों और गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने फर्जी पहचान पत्रों की पहचान करने और नाबालिगों को सेवा देने से इनकार करने के लिए सर्वरों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का सुझाव दिया। साथ ही स्कूलों और कॉलेजों में नाबालिगों के शराब पीने के खतरों के बारे में शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया। अरोड़ा ने आम नागरिकों को और अधिक अधिकार देने की जरूरत पर भी सुझाव दिया। उन्होंने मोबाइल ऐप विकसित करके आम नागरिकों को सशक्त बनाने का सुझाव दिया, जिसके जरिए वे तस्वीरें क्लिक कर सकते हैं और अपराधियों के इलाके को जियोटैग कर सकते हैं, जिससे कानून प्रवर्तन अधिकारियों को मदद मिल सके। अपने संबोधन के समापन पर उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि इस मुद्दे के प्रभावी समाधान के लिए सख्त प्रवर्तन, जन जागरूकता पहल और हितधारकों के साथ सहयोग सहित बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है।