लुधियाना (राजकुमार साथी)। एक सितंबर से हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को लेकर सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है। सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (एस्मा) लागू कर दिया है। इस आदेश के अनुसार, कोई भी कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जा सकता है। आदेश 31 अक्टूबर तक लागू रहेंगे। आदेश में कहा गया है कि पंजाब के रणजीत सागर बांध, भाखड़ा बांध और पौंग बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। राज्य में बाढ़ के हालात बने हुए हैं। ऐसे में राजस्व विभाग में काम करने वाले पटवारियों, कानूनगो और DC दफ्तरों के स्टाफ की ड्यूटी 24 घंटे है। सरकार के अनुसार, इन विभागों के कर्मचारियों की जरूरत बाढ़ के इन हालातों में हर समय है। इसलिए राजस्व विभाग में कार्यरत पटवारियों, कानूनगो और डिप्टी कमिश्नर के दफ्तरों में तैनात स्टाफ को अपना स्टेशन छोड़ने की मनाही रहेगी। वह हर समय अपने दफ्तर में मौजूद रहेंगे और जरूरत पड़ने पर उन्हें ड्यूटी पर उन्हें हाजिर होना पड़ेगा। कर्मचारियों को ईस्ट पंजाब एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट 1947 (पंजाब एक्ट 1947 की सेक्शन-13) के तहत आगाह किया जाता है कि 31 अक्टूबर 2023 तक कोई भी कर्मचारी अपने क्षेत्र से बाहर नहीं जाएगा। यदि कोई नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ अधिनियम में वर्णित पैनल प्रोविजन के तहत कार्रवाई की जाएगी।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कर्मचारियों के प्रति सख्त रवैया अपना लिया है। पिछले कल उन्होंने पहले सीधी चेतावनी दी थी कि कलमछोड़ हड़ताल करो लेकिन कलम बाद में देनी है या नहीं यह सरकार तय करेगी। बहुत पढ़े लिखे बेरोजगार कलम थामने के लिए बैठे हैं। इसके बाद फिर से मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर हड़ताल की धमकी देने वालों पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार से बहुत तनख्वाह लेने वाले बोल रहे हैं कि कलमछोड़ हड़ताल करेंगे। लोगों को परेशान करके आप लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे। उन्होंने फिर से चेतावनी दी है कि यदि कलम छोड़ हड़ताल ही करनी है तो सुन लो- बाद में छोड़ी हुई कलम का क्या करना है, यह सरकार तय करेगी। हम सभी के लिए लोग प्राथमिकता होने चाहिएं। मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा है कि जायज मांगें पहले भी मानी गई थीं, अब भी मानी जाएंगी, लेकिन दरिया बिछाकर हड़ताल करके धक्के से की जा रही मांगें नहीं मानी जाएंगी। सीएम भगवंत मान ने बुधवार को अमृतसर में कहा था कि सरकार से सैलरी लेने के बाद भी कुछ कर्मचारी हड़ताल पर जाने की बात कह रहे हैं। हड़ताल करनी है तो करो लेकिन उसके बाद कलम हाथ में दोबारा देनी है या नहीं, ये फैसला सरकार करेगी। बहुत से बेरोजगार कलम पकड़ने को तैयार बैठे हैं। लोगों का पैसा खाने वालों से हमें कोई हमदर्दी नहीं। एस्मा यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट के तहत सरकार हड़ताल को रोक सकती है। इसे लागू करने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो उसे अवैध और दंडनीय माना जाता है। हड़ताल की वजह से लोगों को मिलने वाली आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ने की आशंका होती है, इसलिए सरकार इसे लागू करती है। इसमें बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार किया जा सकता है। उन्हें 6 महीने तक की कैद हो सकती है। यह कानून लगने के बाद 6 महीने तक लागू रहता है।