धूमधाम से मना भावाधस का आदि धर्म महापर्व, कई प्रस्ताव हुए पारित
वाल्मीकिन समाज के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करेगी भावाधस
चंडीगढ़ के राम दरबार के अंबेडकर-भावाधस भवन में बनेगा हेडक्वार्टर
हर तीन महीने बाद विभिन्न राज्यों में होगी केंद्रीय कमेटी की समीक्षा मीटिंग
अमृतसर (राजकुमार साथी)। देश में बसने वाले वाल्मीकिन समाज के सबसे बड़े संगठन भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (रजि.) भावाधस के 59वें स्थापना दिवस पर वाल्मीकि तीर्थ पर आदि धर्म महापर्व के रूप में धूमधाम से मनाया गया। संस्था के धर्म गुरू एवं सर्वोच्च निर्देशक स्वामी चंद्रपाल अनार्य और राष्ट्रीय मुख्य संचालक वीरश्रेष्ठ नरेश धींगान के नेतृत्व में आयोजित इस समागम में देश के 19 राज्यों से संगठन के प्रतिनिधि व संगत शामिल हुई। समागम के दौरान वाल्मीकिन समाज के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने का प्रस्ताव पारित किया गया। चंडीगढ़ के राम दरबार में अंबेडकर-भावाधस भवन को हेडक्वार्टर बनाने के साथ ही हर तीन महीने बाद विभिन्न राज्यों में केंद्रीय कमेटी की समीक्षा बैठक होगी। इसके लिए सभी राज्यों के कन्वीनरों व प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कार्यक्रम का शुभारंभ ध्वज वंदना व मूलमंत्र मुक्तिमाला के जाप से हुआ। इसके बाद संगठन के मुख्य संचालक वीरश्रेष्ठ नरेश धींगान ने देश भर से आए प्रतिनिधियों व संगत का स्वागत करते हुए उन्हें अगले साल में किए जाने वाले कामों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि भावाधस संगठन वाल्मीकिन समाज के धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक विकास के लिए पिछले 58 साल से काम कर रहा है।
समाज के नशाखोरी, अंधविश्वास, अनपढ़ता व दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों के चंगुल से निकालकर प्रगति के मार्ग पर ले जाना ही भावाधस का मुख्य एजेंडा है। ताकि समाज को उसकी संख्या के हिसाब से सत्ता व कारोबार में भागीदारी मिल सके। कुछ लोग भावाधस को केवल वाल्मीकिन समाज का संगठन ही समझते हैं, लेकिन यह संगठन भगवान वाल्मीकि जी के अलावा सतगुरू रविदास जी, सतगुरू कबीर जी, सतगुरू नानक देव जी इत्यादि महापुरुषों की शिक्षाओं का प्रचार घर-घर पहुंचाने का काम कर रहा है।
इसके साथ ही संगठन देश की एकता व अखंडता को मजबूत करने की दिशा में भी काम कर रहा है। कोरोना काल के दौरान संगठन ने पर्यावरण को बचाने और हरियाली बढ़ाने के लिए पूरे देश में पौधारोपण अभियान चलाया था, जो काफी सफल रहा। सभी राज्यों के कन्वीनरों व प्रभारियों को संगठन की मजबूती और इसकी राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए काम करना होगा। समीक्षा मीटिंगों के बाद भावाधस के राजनीतिक विंग का गठन किया जाएगा। उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए प्रबंधकों की सराहना भी की।
धर्म गुरू स्वामी चंद्रपाल अनार्य ने कौम के नाम संदेश में कहा कि भगवान वाल्मीकि में आस्था रखने से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान वाल्मीकि जी ने रामायण व योगविशिष्ठ के माध्यम से पूरी दुनिया को ज्ञान प्रदान किया है। यह केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं हैं, बल्कि इनमें जीवन की सच्चाई और जीवन जीने की कला के लाखों गुर मौजूद हैं। भगवान जी द्वारा रचित रामायण जातीय एकता को तोडऩे का संदेश देती है। क्योंकि रामायण में हर पात्र को पूरा महत्व दिया गया है। कहीं भी उसकी जातीय या भौगोलिक स्थिति के कारण उससे भेदभाव की बात सामने नहीं आती है।
कुछ घटिया मानसिकता के लोग रामायण और रामायण रचियता को एक जाति तक सीमित करते हुए दुष्प्रचार कर रहे हैं, लेकिन भगवान वाल्मीकि जी भारतीय संस्कृति के पितामह हैं और हर भारतवासी के लिए पूज्यनीय व वंदनीय हैं। संगठन के हर कार्यकर्ता को सुबह नित्यनेम जरूर करना चाहिए।
दीक्षा लेकर गुरू के बताए मार्ग पर चलते हुए मोक्ष तक का सफर तय करना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए मुख्य संचालक वीरश्रेष्ठ नरेश धींगान व प्रबंधकीय कमेटी को बधाई दी।
इस मौके पर राष्ट्रीय निर्देशक विरोत्तम शिव कुमार बिडला, वीरश्रेष्ठ बालचंद आदिवासी, वीरश्रेष्ठ प्रेम लुहेरा, राष्ट्रीय संचालक वीरश्रेष्ठ राम लाल कल्याण, वीरश्रेष्ठ संत लाल चांवरिया, वीरश्रेष्ठ रंजीत कोठारी, वीरश्रेष्ठ दविंदर खोसला, राष्ट्रीय महामंत्री वीरश्रेष्ठ ओ.पी. कल्याण, वीरश्रेष्ठ राजकुमार साथी, मुख्य कोषाध्यक्ष वीरश्रेष्ठ महेश द्राविड़, मुख्य लेखा निरीक्षक वीरश्रेष्ठ एडवोकेट विजय चौहान, वीरश्रेष्ठ सुनील दत्त, मुख्य प्रचार मंत्री वीरश्रेष्ठ विमल दानव, वीरश्रेष्ठ धर्मवीर अनार्य, वीरश्रेष्ठ बनवारी लाल चांवरिया, वीरश्रेष्ठ तरलोक गिल के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, तामिलनाडू व गोवा समेत 19 राज्यों के कन्वीनर व प्रभारी भी विशेष तौर पर मौजूद रहे।