बिहार में जदयू-भाजपा की खट्टास को भुनाने में जुटे लालू

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बिहार में जदयूभाजपा की खट्टास को भुनाने में जुटे लालू

रांची के रिम्स अस्पताल में दाखिल लालू ने तेजस्वी को समझाया राजद का मास्टर प्लान

पटना। बिहार चुनाव के बाद रांची का रिम्स अस्पताल सत्ता-समीकरण का केंद्र बन गया है। चारा घोटाले में सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपनी खराब सेहत के बावजूद बिहार में पल-पल बदलते राजनीतिक घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। वे अपनी पार्टी के रणनीतिकारों से लगातार संपर्क में हैं। दिन में करीब तीन से चार बार बेटे तेजस्वी यादव के साथ लालू प्रसाद यादव की फोन पर बात हो रही है। वे तेजस्वी को राजद का मास्टर प्लान समझा रहे हैं। राजद के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो लालू यादव ने पार्टी के नेताओं को दो अलग-अलग मोर्चे पर लगाया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी को जनता दल यूनाइटेड के शीर्ष नेताओं से संपर्क रखने की जिम्मेदारी दी गई है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी व श्याम रजक जैसे नेताओं को नीतीश कुमार और जदयू पर सीधे राजनीतिक हमले नहीं करने और बयानों के जरिए राजद के पक्ष में माहौल बनाने का टारगेट दिया गया है। इसी कारण लालू परिवार का कोई भी सदस्य फिलहाल कहीं कुछ नहीं बोल रहा है। लालू प्रसाद यादव ने पार्टी के नेताओं को साफ तौर पर कहा है कि वह सत्तापक्ष के रूप में बीजेपी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करें। इसके साथ ही जदयू की पीड़ा पर मरहम लगाने की सलाह दी गई है। क्योंकि अरुणाचल प्रदेश में जदयू के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

राजद इस मौके का फायदा उठाने के प्रयास में है। माना जा रहा है कि लालू नीतीश कुमार को एक बार फिर अपने पाले में करने के लिए यूपीए के कुछ बड़े नेताओं की भी मदद ले रहे हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार की ओर से नीतीश के लिए यूपीए का दरवाजा खोलने संबंधी बयान भी आ चुका है। बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि बिहार में जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन या मध्यावधि चुनाव होने की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में लोजपा नेता चिराग पासवान को जगह मिलने वाली है। यह भी जदयू को छोटा दिखाने के लिए हो रहा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को राजद ने पूर्व में मुख्यमंत्री बनाया था। वह राजद के साथ आएं और केंद्र में विपक्ष की राजनीति करें। तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाएं। यह इसलिए कि भाजपा के साथ उनकी सरकार नहीं चल सकेगी।

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