बिना बताए कर दी महिला की नसबंदी
अमृतसर (सुरेंद्र कुमार)। जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में एक गर्भवती महिला की डिलीवरी के बाद उसे बिना बताए ही उसकी नसबंदी कर दी गई। परिवार के हंगामा किया तो कुछ देर बाद गुपचुप ढंग से नसबंदी री–चैनालाइज कर दी गई। अस्पताल में दाखिल न्यू अमृतसर निवासी आरती न बताया कि वह बुधवार को सिविल अस्पताल में डिलीवरी के लिए आई थी। वीरवार को माइनर आपरेशन के जरिए उसकी डिलीवरी कर दी गई। आरती के देवर रंजीत कुमार ने बताया कि उसकी भाभी ने बेटी को जन्म दिया। जन्म से ही अस्वस्थ होने के बावजूद उसका इलाज नहीं किया गया। रंजीत के मुताबिक भाभी आरती ने उसे बताया कि उसकी नसबंदी भी कर दी गई है। इस संबंध में डाक्टर व एएनएम से पूछा तो वह बोली नसबंदी नहीं की गई। अगर कर भी दी तो क्या हुआ? आरती के पहले दो बच्चे हैं, तीसरी बेटी पैदा हुई है। क्या दस–दस बच्चे पैदा करोगे? रंजीत के अनुसार यह कहकर स्टाफ ने मुझे बुरी तरह जलील किया।
इधर, नवजात बच्ची की हालत बिगडऩे पर उसे मजीठा रोड स्थित गुरु नानक देव अस्पताल में दाखिल कराया गया। जब वह सिविल अस्पताल वापस लौटा तो उससे पहले ही गायनी वार्ड के स्टाफ ने आरती की नसबंदी खोल दी थी। डिलीवरी के बाद लगाए गए टांके भी काट दिए गए। सिविल अस्पताल पहुंचे उत्तर प्रदेश कल्याण परिषद के प्रवक्ता रामभवन गोस्वामी ने डाक्टरों से बात की, पर उचित जवाब नहीं मिला। गोस्वामी ने कहा कि आरती का अल्ट्रासाउंड करवाकर पता लगाएंगे कि डाक्टरों ने उसकी नसबंदी की थी या नहीं। उधर, सिविल अस्पताल के एसएमओ डा. चरणजीत सिंह का कहना है कि डिलीवरी के बाद महिला की इजाजत के बगैर नसबंदी नहीं की जा सकती। उन्होंने गायनी डाक्टर से बात की है। उसके अनुसार महिला की नार्मल डिलीवरी हुई थी। ऐसे में नसबंदी का सवाल नहीं उठता। फिर भी लिखित शिकायत मिलने पर बोर्ड बनाकर मामले की जाच करा ली जाएगी।