बाबा बंदा सिंह बहादुर फाउंडेशन ने की भूख हड़ताल

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बाबा बंदा सिंह बहादुर फाउंडेशन ने की भूख हड़ताल

लुधियाना (राजकुमार साथी) । बाबा बंदा सिंह बहादुर अंतर राष्ट्रीय फाउंडेशन की ओर से किसान आंदोलन के समर्थन में एक दिवसीय भूख हड़ताल रखी गई। इसकी अगवाई फाउंडेशन के प्रधान पंजाब सरकार में चेयरमैन कृष्ण कुमार बावा ने की। फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने तीन नए खेती बिल बनाकर पंजाब की किसानी को बरबाद करने की प्लानिंग की है। जिसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। प्रो. जीवनदास ने कहा कि जब देश आजाद हुआ तो यहां सिर्फ 19 लाख टन गेहूं उगता था। जिस कारण पूरी आबादी को पेट भर खाना भी नहीं मिल पाता था। इस कारण तत्कालीन सरकार ने अमेरिका से अनाज भेजने की अपील की, मगर अमेरिका ने यह कहकर अनाज देने से मना कर दिया कि वह केवल यूरोपीय देशों को ही अनाज देगा। जब यूरोपीय देश अनाज उगाने में सक्षम हो गए तो 1956 में अमेरिका ने अनाज देना शुरू किया, मगर वह भी घटिया क्वालिटी का था। 1965 में जब पाकिस्तान के साथ युद्ध शुरू हुआ तो अमेरिका ने अनाज देना बंद कर दिया।

जब तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया। इस नारे से देश में हरित क्रांति का आगाज हुआ और लाल बहादुर शास्त्री की ओर से स्थापित की गई फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) एजेंसी ने किसानों से गेहूं धान खरीदना शुरू किया। उसी समय केंद्र सरकार ने एमएसपी की शुरूआत की थी। पंजाब के किसानों की मेहनत का ही नतीजा है कि 3 फीसदी आबादी होने के बावजूद यहां के किसान देश के अन्न भंडार में 40 फीसदी अनाज भेजते हैं। मगर मोदी सरकार देश को फिर से भुखमरी के कगार पर पहुंचाना चाहती है। फाउंडेशन के प्रधान केके बावा ने कहा कि मोदी सरकार ने सोचा था कि किसान इतनी सर्दी सहन नहीं कर पाएंगे और दोचार दिन में वापस लौट जाएंगे। मगर किसानों ने तय किया है कि वे जंग जीतकर ही वापस लौटेंगे। बावा ने कहा कि मोदी केवल बीस किलोमीटर बैठा है और उसके पास किसानों की बात सुनने का टाइम नहीं है। जबकि 14 हजार किलोमीटर दूर बैठा कनाडा का प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो किसान आंदोलन का समर्थन कर रहा है। यह मोदी सरकार के लिए शर्म की बात है। बावा ने कहा कि देश के हर नागरिक को अन्नदाता की इस लड़ाई में सहयोग देना चाहिए।

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