पानी बचाने को खेती के लिए बूंद सिंचाई प्रणाली अपनाने की अपील
लुधियाना (राजकुमार साथी)। किसानों और आढ़तियों के लिए अपना पूरा समर्थन दोहराते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की राज्यों पर हावी होने की कोशिश के अंतर्गत उनके हक छीनने के लिए कड़ी आलोचना की। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा ज़बरन कृषि कानून लागू करने और राज्य की किसानी पर सीधी अदायगी जैसे एकतरफ़ा फ़ैसले थोपने के लिए भी केंद्र को आड़े हाथों लिया। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब के किसानों और आढ़तियों के संबंध बहुत पुराने हैं, जिनको केंद्र सरकार ख़त्म करने पर तुली हुई है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान पंजाब से संबंधित किसी भी नीतिगत फ़ैसले / विकास प्रमुख मुद्दे सम्बन्धी उनको पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह का पूरा विश्वास और समर्थन हासिल था। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए जा रहे दो दिवसीय किसान मेले का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों की काले कृषि कानूनों के मुद्दे पर पूरी तरह हिमायत की। उन्होंने कहा कि केंद्र ने जानबूझकर राज्य के अधिकार छीनने की कोशिश करते हुए लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे को खतरे में डाला है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने ज़ोर देकर कहा कि केंद्र सरकार को इन विवादास्पद कानूनों को अमली जामा पहनाने से पहले किसानों को भरोसे में लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि ’’यदि केंद्र सरकार इस समस्या का हल ढूँढने के लिए ईमानदार होती तो उसके द्वारा या तो पंजाब सरकार या फिर राज्य के किसानों के साथ बातचीत की जाती, क्योंकि पंजाब अकेला ही राष्ट्रीय अन्न भंडार में 40 प्रतिशत से अधिक अनाज का योगदान देता है।’’ मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पंजाब, जो कि शुरू में कृषि सुधारों पर बातचीत का हिस्सा भी नहीं था। उसे सिर्फ़ तब ही उच्च स्तरीय समिति का हिस्सा बनाया गया, जब उन्होंने केंद्र को पत्र लिखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान अब तक 144 किसानों की मौत हो चुकी है और उनकी सरकार मारे गए किसानों के वारिसों को नौकरी और 5 लाख रुपए दे रही है। सतही (नहरी) और भूजल के घटते स्तर की समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों को बड़े स्तर पर बूंद सिंचाई प्रणाली अपनाने का न्योता दिया। जिससे राज्य को भविष्य में मरूस्थल बनने से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि पिघल रहे ग्लेशियर राज्य के सामने बड़ी चुनौती है, जिसका एकमात्र समाधान धान और गेहूँ के चक्कर में से निकलना है। पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी की तरफ से इस अनमोल संसाधन की महत्ता को सराहा गया है। उन्होंने बूंद सिंचाई संबंधी अपने तजुर्बे भी सांझे किये जो उन्होंने इजराइल के दौरे के दौरान हासिल किये थे। मुख्यमंत्री ने किसानों को पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के माहिरों की सिफारिशों के अनुसार कम से कम कीड़ेमार दवाएँ और कीटनाशकों का कम से कम प्रयोग करने की भी अपील की। पशुधन की गुणवत्ता में सुधार के लिए गुरू अंगद देव वैटरनरी और एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी (गडवासू) लुधियाना की भूमिका की भी सराहना करते हुये मुख्यमंत्री ने यूनिवर्सिटी को मुरराह, साहिवाल नसल की उच्च कोटी की भैंसों और थारपारकर नसल की गायों के लिए भ्रूण संचार प्रौद्यौगिकी विकसित करने के लिए अनुसंधान करने के बारे जोर दिया। हाल ही में आए कोविड -19 के दूसरे शिखर संबंधी लोगों को जागरूक करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि लापरवाह होने की जरूरत नहीं और कोविड प्रोटोकोल के अनुसार मास्क पहने, निरंतर हाथ धोएं और सामाजिक दूरी कायम रखने के सभी जरुरी एहतियात इस्तेमाल करने चाहिएं। इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास अनिरुद्ध तिवाड़ी, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों और गडवासू के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह भी उपस्थित थे।