फिल्म अभिनेता सतीश कौल की कोरोना से मौत, गुमनामी में बीते जीवन के अंतिम साल, 2011 में मिला था लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
लुधियाना (राजकुमार साथी)। पंजाबी फिल्मों के अमिताभ बच्चन के तौर पर विख्यात रहे सतीश कौल का लुधियाना में निधन हो गया। कोरोना से संक्रमित होने के कारण वे पिछले काफी दिनों से दरेसी के एक अस्पताल में भर्ती थे। उनका अंतिम समय गुमनामी में बीता था। करीब 120 फिल्मों में अभिनय का जादू दिखा चुके सतीश कौल के निधन पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शोक जताया है। आर्थिक हालात ठीक नहीं होने के कारण 2019 में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पांच लाख रुपए देकर उनकी मदद की थी। सतीश कौल का जन्म 8 सितंबर 1954 को कश्मीर में हुआ था। उनके पिता मोहन लाल कौल शायर थे। उन्होंने कश्मीर की शायरी दुनिया भर में फैलाई थी। पिता के कहने पर सतीश कौल ने 1969 में पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से ग्रेजुएशन किया था। वहां वह जया बच्चन, डैनी और शत्रुघ्न सिन्हा का बैच मेट रहे। सतीश कौल ने 1973 में पहली फिल्म की और बाद में 120 से भी ज्यादा हिंदी और पंजाबी सिनेमा में काम किया। शादी हुई तो पत्नी उन्हें अमेरिका में घर जमाई बनाकर रखना चाहती थी, मगर उनका शौक और पैशन सिनेमा था, इसलिए उन्होंने पत्नी को छोड़ दिया। 30 साल तक पंजाबी और हिंदी सिनेमा पर राज करने वाले सतीश कौल ने अंतिम समय में गुमनामी की जिंदगी जी।
उनकी फिल्मों में डेरा आशिकां दा, मुटियार, शेरां दे पुत्त शेर, सौंह मैनूं पंजाब दी, फेर मामला गड़बड़ गड़बड़, आजादी, जग वाला मेला, पटोला, मौला जट्ट, धी राणी, सुहाग चूड़ा, यार गरीबां दा, पींघा प्यार दीयां, बाबुल दा वेहड़ा, कुंवारा जीजा, मुंडा नर्म ते कुड़ी गर्म, मावां ठंडियां छावां, वीरा, सस्सी पुन्नू, भुलेखा, बग्गा डाकू, जय माता चिंतपूर्णी, वोहटी हत्थ सोटी, अंग्रेजण, छम्मक छल्लो, जट्ट दा गंडासा, यार यारां दे, राणो, दो पोस्ती, लच्छी, जोश जवानी दा, जय बाबा बालक नाथ, इशक निमाणा व गोरी दीयां झांझरां काफी चर्चित रही हैं। सतीश कौल ने 1988 में बने महाभारत सीरियल में इंद्रदेव की भूमिका निभाई थी। पीटीसी पंजाबी फिल्म अवार्ड 2011 में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया।