नहीं रहे एमडीएच मसालों के संस्थापक महाशय धर्मपाल गुलाटी
लुधियाना। एमडीएच मसाले से दुनिया भर के लोगों को स्वाद का एहसास कराने वाले और एमडीएच के प्रबंध निदेशक महाशय धर्मपाल गुलाटी नहीं रहे। उनकी मेहनत व दृढ़ इच्छाशक्ति को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से नवाजा था। भारत–पाक बंटवारे के दौरान महाशय धर्मपाल मात्र 1500 रुपए लेकर सियालकोट से दिल्ली आए थे। यहां आते ही गुजर बसर करने की चिंता ने सताया तो सबसे पहले एक तांगा खरीदा और नई दिल्ली से कुतब रोड व पहाडग़ंज तक चलाना शुरू किया। इस दौरान वे सडक़ पर काफी देर तक साब..दो आने सवारी, दो आने सवारी, चिल्लाता रहते थे, लेकिन सवारी नहीं मिलती थी। कई बार महाशय धर्मपाल हताश हो जाते थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने तांगा बेच दिया और अजमल खान रोड पर महाशय दी हट्टी के नाम से मसाले की दुकान खोल ली। इसके बाद सफर की शुरुआत हुई और आज पूरे देश में एमडीएच की 22 फैक्ट्रियां हैं।
संघर्ष के सफर की शुरुआत महाशय जी के लिए सियालकोट में ही शुरू हो गई थी। उन्होंने सियालकोट में सबसे पहले कपड़े धोने वाले साबुन बनाने का काम किया। इसके बाद बढ़ई का काम किया। जब इसमें भी मन नहीं लगा तो कपड़े की दुकान पर नौकरी की। इतना ही नहीं, फैक्ट्री में भी महाशय जी ने काम किया। दिल्ली में मसाले का कारोबार शुरू करने के बाद वर्ष 1959 में कीर्ति नगर में पहली फैक्ट्री खोली। उस समय उनके साथ सिर्फ दस लोग थे। जब घर–घर में एमडीएच मसाले की पहुंच होने लगी तो महाशय जी ने अपने व्यवसाय को विस्तार दिया और स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्य किया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में जनकपुरी में माता चानन देवी अस्पताल, माता लीलावंती लेबोरेट्री, एमडीएच न्यूरोसाइंस संस्थान नई दिल्ली, महाशय धर्मपाल एमडीएच आरोग्य मंदिर सेक्टर 76 फरीदाबाद, महाशय संजीव गुलाटी आरोग्य केंद्र ऋषिकेश और महाशय धर्मपाल हृदय संस्थान सी-1 जनकपुरी में स्थित है। इसके अलावा द्वारका में एक स्कूल है।