सुप्रीम कोर्ट ने भी की थी चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति पर टिप्पणी
लुधियाना (राजकुमार साथी)। मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति के संदर्भ में की गई टिप्पणियों और केंद्र से उनकी नियुक्ति से जुड़ी फाइल मांगने के बाद प्रमुख विपक्षी दल भाजपा पर हमलावर हो गए हैं। उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर निर्वाचन आयोग को कमजोर करने का आरोप लगाया। साथ ही चुनाव आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। कांग्रेस, टीएमसी, जदयू, राजद और वाम दलों ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को बोर्ड से ऊपर होना चाहिए। कुछ दलों ने कहा कि चुनाव आयोग की प्रमुख नियुक्तियां एक विशेष पैनल द्वारा की जानी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार को गोयल की नियुक्ति के कागजात दिखाने में कतई आपत्ति नहीं करनी चाहिए। अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट किया ट्वीट किया, ‘क्या केंद्र के पास छिपाने के लिए कुछ है? क्या दाल में कुछ काला है या फिर दाल ही काली है?’ जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी बहुत खतरनाक है और चुनाव आयोग की स्थिति को बयां करती है।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को इससे सबक लेना चाहिए। उधर, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि नियुक्ति की प्रक्रिया पर शीर्ष कोर्ट समीक्षा कर रहा है। केसी त्यागी ने कहा कि हमारी सदा मांग रही है कि चुनाव आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया भी सीबीआइ और लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया की तरह होनी चाहिए। राजद के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा कि शीर्ष अदालत ने जो टिप्पणियां की हैं, वे इस बात का प्रमाण हैं कि हम लंबे समय से जो कहते आ रहे हैं, वह सही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग अनुच्छेद 324 के तहत मिले अपने दायित्व का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहा है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने चुनाव आयोग को कमजोर किया है।