मलोट 26 सितंबर (मलूजा)
इंसान अपने दोहरे चरित्र को बड़ी प्रसन्नता और गौरव के साथ जीता है लेकिन उसे पता नहीं कि वही उसका दोहरा चरित्र उसके जीवन के लिए अभिशाप बन जाता है। इंसान की करनी और कथनी में 36 का आंकड़ा बना रहता है।वह कहता कुछ है और करता कुछ है। अंदर से कुछ है और बाहर से कुछ है।वह मन वचन कर्म से
बहरूपिया हो गया है। इंसान गीत तो राम के गाता है और जीवन रावण के कामों से भरा रहता है , गीत एकता व प्रेम के गाता है और जीवन फूट की करतूतों से भरा रहता है। दोमुहा सांप उतना खतरनाक नहीं होता जितना दोमुहा इंसान खतरनाक होता है। जब तक इंसान की करनी और कथनी के बीच की दूरी समाप्त नहीं होगी तब तक उसके जीवन में स्वर्ग नहीं कर सकता। यह विचार पंजाब सिंहनी श्री प्रदीप रश्मि महा. सा ने एसएस जैन सभा मलोट के प्रांगण में श्रद्धालुओं से कहे। उन्होंने कहा कि दोहरे चरित्र इंसान के परिवारिक समाजिक राष्ट्रीय अध्यात्मिक जीवन में विसंगतियां और समस्या पैदा की है। दोहरे चरित्र से ही भ्रष्टाचार और बेईमानी का जन्म होता है।इंसान नहीं समझ पाई रहा है कि उसके दोहरे चरित्र से ही उसके चारों और नर्क निर्मित हुआ है।जिनके जीवन में करनी कथनी का भेद समाप्त हो जाता है वही राम कृष्ण बुद्ध नानक महावीर बनते हैं। दोहरा जीवन जीने वाले अविश्वसनीय होते हैं। सनी कटनी का भेद समाप्त करने वाले सब के विश्वसनीय व श्रद्धेय बन जाते हैं। इस अवसर पर एसएस जैन सभा के प्रधान श्री प्रवीण जैन कोषाध्यक्ष श्री रमेश कुमार जैन श्री धर्मवीर जैन श्री विजय कुमार जैन श्री सुरेश जैन श्री अमन जैन श्री बिहारी लाल जैन श्री लाली गगनेजा श्री हरमेश कुमार आदि उपस्थित थे। श्रमण संघीय महामंत्री पूज्य गुरुदेव श्री सौभाग्य मुनि जी महाराज साहब के स्वस्थ्य लाभ के लिए महा साध्वी जी ने महामृत्युंजय जप की साधना भी संपन्न करवाई। श्री सतपाल कामरा ने भजन प्रस्तुत किया।