कुछ इस अंदाज में मना भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (रजि,) भावाधस का 58वां स्थापना दिवस, भारत की धरती को हरा-भरा बनाने का लिया संकल्प
लुधियाना (राजकुमार साथी)। कोरोना महामारी के इस संकटकाल में जहां कुछ बड़े-बड़े व्यापारी अपने जमीर को मारकर जीवन रक्षक ऑक्सिजन व दवाइयों की जमाखोरी करके केवल पैसे कमाने में जुटे हुए हैं, वहीं भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (रजि.) भावाधस ने सरकार व सेहत विभाग की ओर से जारी गाइडलाइन्स का पालन करते हुए धर्म समाज के 58वें स्थापना दिवस पर कोई भव्य आयोजन नहीं किया और पूरे देश में पौधारोपण अभियान चलाकर भारत देश की धरती हरा-भरा बनाने के संकल्प के साथ इस ऐतिहासिक दिन को मनाकर एक नई मिसाल पेश की है।
संगठन के सर्वोच्च निदेशक एवं धर्म्र गुरू स्वामी चंद्रपाल अनार्य जी व संगठन के राष्ट्रीय निर्देशक वीरश्रेष्ठ नरेश धींगान के निर्देशों और मुख्य संचालक विरोत्तम शिवकुमार बिडला, राष्ट्रीय महामंत्री वीरश्रेष्ठ ओपी कल्याण व राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री वीरश्रेष्ठ राजकुमार साथी की अगवाई में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत देश के करीब 16 राज्यों में संगठन के स्थापना दिवस पर पौधारोपण अभियान चलाया गया।
जिसमें ज्यादातर ऐसे पौधे लगाए गए जो बड़े होकर ऑक्सिजन प्लांट के तौर पर काम करेंगे।
इस संबंध में संगठन से जुड़े देश भर के कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए स्वामी चंद्रपाल अनार्य व वीरश्रेष्ठ नरेश धींगान ने कहा कि कोरोना ने इंसान को उसकी व उसके रिश्तों की हकीकत दिखा दी है।
जिंदा रहने के लिए लोग बाजारों में श्वास (ऑक्सिजन) खरीदने के लिए दौड़ लगाते देखे गए।
बीमार हो जाने के डर से सगे बेटों ने मां-बाप का दाह-संस्कार करने से इंकार कर दिया। इससे इस संसार की मोहमाया की पोल खुल गई है।
इसी लिए संगठन ने 58वें स्थापना दिवस पर आदि धर्म महापर्व मनाने की बजाय इसे पौधारोपण दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया था।
आज देश भर में हजारों पौधे लगाए गए। इन पौधों को लगाने वालों ने ही इनके लालन-पालन की जिम्मेदारी भी ली है। उन्होंने कहा कि संगठन ऐसे सामाजिक कार्य भविष्य में भी करता रहेगा।