राष्ट्रपति ने खुद को लिखा प्रेसिडेंट ऑफ भारत
नई दिल्ली (अमर ज्वाला ब्यूरो)। एक जमाना था, जब लोग देश के हित और विकास का मकसद लेकर राजनीति में आते थे। तब पक्ष-विपक्ष ज्यादा मायने नहीं रखता था, लेकिन वर्तमान समय में राजनीति का चेहरा विपक्ष को नीचा दिखाना और इसके लिए हर हथकंडा अपनाने का प्रयास किया जाता है। इंडिया बनाम एनडीए के बीच चल रहे शीतयुद्ध के बीच आशंका जताई जा रही है कि केंद्र सरकार देश का नाम बदलने पर विचार कर रही है। शायद यही कारण है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में दर्ज इंडिया शब्द की बजाय भारत शब्द को प्रचल्लित किया जा रहा है। इसका प्रमाण जी-20 स्मिथ के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू की ओर से भेजे गए रात्रि भोज निमंत्रण पर खुद को प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखने से मिलता है। इसे लेकर पक्ष व विपक्ष में बहस छिड़ गई है।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स (ट्विटर) पर इसकी तस्वीर शेयर की है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा I.N.D.I.A गठबंधन से घबरा गई है। इसीलिए देश का नाम बदल रही है। इस बीच कांग्रेस ने एक्स पर एक तस्वीर शेयर की, जिसमें देश के संविधान की प्रस्तावना लिखी है। साथ ही एक कैरिकेचर को देश का नाम बदलते हुए दिखाया गया है। कैप्शन में कांग्रेस ने लिखा- ‘INDIA को मिटाना नामुमकिन है।’ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक्स पर कांग्रेस की इस पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया। उन्होंने कांग्रेस की ओर से शेयर की गई संविधान की प्रस्तावना में स्पेलिंग मिस्टेक्स होने का दावा किया। नड्डा ने लिखा- क्या हम उस पार्टी से कोई उम्मीद कर सकते हैं, जो भारत की प्रस्तावना तक नहीं जानती। विवाद बढ़ता देख कांग्रेस ने एक्स पर की गई पोस्ट को डिलीट कर दिया। कांग्रेस ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि पहले जो पोस्ट की गई थी उसमें कुछ टाइप एरर था। पोस्ट में ‘विश्वास’ शब्द को संक्षिप्त में लिखा गया था और ‘गंभीरता से’ शब्द को भी गलत लिखा गया था।
कांग्रेस ने स्पेलिंग मिस्टेक्स में सुधार कर एक्स पर नई पोस्ट शेयर की है। INDIA नाम को लेकर विवाद तब से शुरू हुआ, जब विपक्ष की 28 पार्टियों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया। इसमें अलायंस का नाम INDIA (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस) रखा गया था। इसके बाद भाजपा विपक्ष पर हमलवार हो गई। पीएम मोदी ने INDIA की जगह इसे घमंडिया गठबंधन का नाम दिया। वहीं विपक्ष ने पलटवार करते हुए कहा था कि बीजेपी को INDIA नाम लेने में इतनी दिक्कत क्यों है।