तीन पूर्व मंत्रियों पर विजिलेंस के बाद अब ईडी का शिकंजा

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विजिलेंस ने ईडी को हैंडओवर की फाइलें, इंप्रूवमेंट ट्रस्टों में हुए घोटालों की खुलेंगी परतें

लुधियाना (राजकुमार साथी)। विजिलेंस के बाद अब पंजाब के तीन पूर्व मंत्रियों पर इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) का शिकंजा कसने लगा है। विजिलेंस ने इन मंत्रियों से जुड़ी फाइलें ईडी को सौंप दी हैं। बताया जा रहा है कि ईडी की जांच में लुधियाना व अमृतसर के इंप्रूवमेंट घोटाले की परतें खुलेंगी।

सूत्रों के अनुसार अब मंत्रियों के देश-विदेश में पैसे के लेनदेन और संपत्ति की खरीद-फरोख्त की जांच की जाएगी। ईडी ने विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख को उन सभी केसों की फाइलें मुहैया करवाने को कहा है, जिनमें आरोपियों पर आय से अधिक संपत्ति बनाने का आरोप है। विजिलेंस ब्यूरो ने पहले ईडी को करोड़ों रुपए के फॉरेस्ट घोटाले के दस्तावेज उपलब्ध करवाए थे।

ईडी ने अब कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान सामने आए लुधियाना और अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट घोटाले की फाइलें मंगाई हैं। लुधियाना में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के प्लाट आवंटन घोटाले के मामले में विजिलेंस द्वारा कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है। इसमें ट्रस्ट की ईओ कुलजीत कौर सहित 4 लोगों को आरोपी बनाया गया है, लेकिन मुख्य आरोपी ईओ को ही बताया गया। गिरफ्तार अन्य आरोपियों में सेल्स क्लर्क प्रवीण कुमार, रमन बालासुब्रमण्यम का पीए संदीप शर्मा और कमलदीप सिंह सह-आरोपी हैं।

विजिलेंस जांच के अनुसार आरोपी प्लाट आवंटन की बोली में गड़बड़ी कर चेयरमैन सहित अन्य नेताओं के लिए रिश्वत लेने का काम करते थे। इसके अलावाइंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन रमन बालासुब्रमण्यम, एक्सईएन बूटा राम, जगदेव सिंह, जेई इंद्रजीत सिंह और मनदीप सिंह की भूमिका भी सामने आने पर इन्हें भी आरोपी बनाया है। अकाली दल और भाजपा के कार्यकाल में साल 2008 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित कुल 18 आरोपियों के खिलाफ अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की 32 एकड़ जमीन के घोटाले संबंधी केस दर्ज किया था। मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा पूर्व मंत्री चौधरी जगजीत सिंह, बलजीत सिंह, राजीव भगत, विधानसभा के पूर्व सचिव नछत्तर सिंह मावनी, किशन कुमार कौल, गुरचरण सिंह खारा, सुभाष शर्मा, जुगल किशोर शर्मा, रोहित शर्मा, संयुक्त सचिव तारा सिंह, महेश खन्ना, राजिंदर शर्मा, लक्की शर्मा, अश्वनी काले शाह और केवल किशन को आरोपी बनाया गया था। प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत यह केस मोहाली के विजिलेंस थाने में दर्ज किया गया था।

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