डॉक्टर ने बोला मर गया, पोस्टमॉर्टम को जाते समय जिंदा मिला हवलदार

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लुधियाना (राजकुमार साथी)। कीड़े के काटने से हुई इन्फेक्शन का इलाज कराने के लिए निजी अस्पताल में दाखिल हुए पुलिस के हवलदार को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। परिवार के लोग जब उसे पोस्टमॉर्टम के लिए ले जा रहे थे तो उसके शरीर में हलचल दिखाई दी। उसकी पल्स चलती देख परिजन उसे तुरंत डीएमसी ले गए। जहां उसका इलाज चल रहा है। परिजनों ने बेटे के ठीक होने पर अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। पंजाब पुलिस में तैनात एएसआई रामजी ने बताया उनका बेटा मनप्रीत सिंह कचहरी में नायब कोर्ट के तौर पर तैनात है। किसी कीड़े के काटने की वजह से उसे इन्फेक्शन हो गया तो वह उसे 15 सितंबर को एम्स बस्सी अस्पताल में इलाज के लिए ले गए। डॉक्टर ने उसकी बाजू पर कोई दवाई लगाई, जिससे मनप्रीत की बांह में जलन होने लगी और बाजू के फूलने की बजय से सारी रात दर्द होता रहा। अगले दिन डॉक्टर ने मनप्रीत को वेंटिलेटर पर रखने की बात कही। परिवार ने हां कर दी तो उसे 2-3 दिन वेंटिलेटर पर रखा गया। 18 सितंबर की देर रात परिजनों ने डॉक्टर से कहा कि अगर मनप्रीत का इलाज नहीं हो पा रहा तो उसे रेफर कर दें, वे लोग उसे पीजीआई ले जाएंगे। रामजी ने बताया कि डॉक्टर ने कहा कि अगर मनप्रीत को वेंटिलेटर से उतारा गया तो वह तीन मिनट में ही मर जाएगा। उसी रात करीब ढाई बजे अस्पताल के स्टाफ ने बताया मनप्रीत की मौत हो गई है। सुबह 9 बजे उसकी डेडबॉडी मिल जाएगी। सरकारी कर्मचारी होने के कारण पोस्टमॉर्टम के लिए वे पुलिस कर्मियों की मदद से मनप्रीत की बॉडी को एंबुलेंस में रख रहे थे। अचानक एक मुलाजिम को उसकी पल्स चलती महसूस हुई। रामजी ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने तत्काल एंबुलेंस में ऑक्सिजन सिलेंडर रखवाकर उनके बेटे को डीएमसी अस्पताल पहुंचाया। जहां उसकी हालत स्टेऐबल बताई जा रही है। रामजी ने बताया कि मनप्रीत की मौत की खबर से गांव व पुलिस लाइन में शोक पसर गया था। गांव में उसके अंतिम संस्कार के लिए लकडिय़ां भी इकट्ठा की जाने लगी थी। बेटे के ठीक होने के बाद वे अस्पताल प्रशासन पर कार्रवाई कराएंगे।

                                                एम्स बस्सी अस्पताल के डॉ. साहिल

दूसरी तरफ एम्स बस्सी अस्पताल के डॉ. साहिल ने बताया कि मनप्रीत को जब उनके अस्पताल लाया गया तो उसकी किडनी फेल थी। ब्लड प्रेशर भी काफी गड़बड़ी कर रहा था। जिसके चलते उसकी हालत गंभीर थी। मनप्रीत के परिजनों ने उन्हें किसी कीड़े द्वारा काटने की बात नहीं बताई थी। बल्कि उन्होंने केवल उसकी लात और बाजू पर जख्म होने की जानकारी दी थी। उसकी बाजू पूरी तरह गली हुई थी। पूरी बांह पर इंजेक्शन लगे होने के निशान थे। कई नसें ब्लॉक हो चुकी थीं। रात 12 बज उन्होंने उसके पिता से कह दिया था कि उनका बेटा बचने की हालत में नहीं है। सुबह परिवार ने उसे ले जाने की बात कही। डॉ. साहिल के अनुसार किसी भी स्टाफ ने मनप्रीत के मरने की बात नहीं कही। अस्पताल से मरीज को जिंदा ही भेजा गया है। उनका स्टाफ खुद ऑक्सिन सिलेंडर लगाकर मरीज को डीएमसी तक छोड़ कर आया है। अगर मनप्रीत को डेड डिक्लेयर किया गया होता तो अस्पताल उसके परिवार को डेथ समरी देता, मगर उसे लामा समरी दी गई है। अस्पताल पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं।

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