मलोट 27 सितंबर (मलूजा)
एक व्यापारी अपने व्यापार में गणित लगाता है कि उसने क्या खोया है क्या पाया है कितना लाभ हुआ है कितनी हानि है ? जीवन भी व्यापार का बहुत बड़ा प्लेटफार्म है। कभी जीवन का भी हिसाब करें कि हमने क्या पाया और क्या खोया है? आपको लगता है कि आप अपने जीवन में धन दौलत परिवार शोहरत आदि बहुत कुछ पाया है। लेकिन यह पाना यथार्थ नहीं है ।यह जीवन का लक्ष्य नहीं है। अगर संसार की यह संपदा सत्य होती तो यह कभी छूटती नहीं ।इंसान जब दुनिया से विदा होता है तब उसे पता चलता है कि उसने जिसे पाया समझा था वह सब खो गया। वह जैसे खाली हाथ दुनिया में आया था वैसे ही खाली हाथ चला गया । तब एहसास होता है कि उसने कुछ नहीं पाया बस खोया है खोया है । हीरे जैसा जीवन मिला था जो मिट्टी के खिलौनों के लिए व्यर्थ कर दिया । यह विचार पंजाब सिंहनी श्री प्रदीप रश्मि जी महाराज साहब ने एसएस जैन सभा मलोट के प्रांगण में श्रद्धालुओं से कहे।उन्होंने कहा जीवन कल्पवृक्ष है इससे बहुत कुछ पाया जा सकता है लेकिन हमने उसे कभी अपना लक्ष्य नहीं बनाया ।हमारा पाने का जो लक्ष्य रहा वह नाशवान रहा है। जो छूटने वाला है। हमने शाश्वत को लक्ष्य कभी बनाया ही नहीं इसलिए हमने शाश्वत को पाया नहीं। इस अवसर पर एसएस जैन सभा के प्रधान श्री प्रवीण जैन कोषाध्यक्ष श्री रमेश जैन धरम वीर जैन दर्शन कुमार जैन विजय कुमार जैन बिहारी लाल जैन लाली गगनेजा अनिल गर्ग आदि लोग उपस्थित थे। महा साध्वी जी ने श्रमण संघीय महामंत्री पूज्य गुरुदेव श्री सौभाग्य मुनि जी के स्वास्थ्य लाभ के लिए महामृत्यु जीते जब के अनुष्ठान करवाई और साथ में लोगों को अस्पताल में दवाइयां दान करने का आह्वान किया।