चमोली की सुरंग में फंसी हैं कई जिंदगियां
देहरादून। गलेशियर टूटने के कारण चमोली जिले रौणी गांव में आई जल प्रलय की वजह से अभी भी तपोवन–विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की 2.5 किलोमीटर लंबी टनल में कई जिंदगियां फंसी हुई हैं। अभी तक यहां से तीस से ज्यादा शव निकाले जा चुके हैं। जबकि 200 से अधिक लोगों के लापता होने की सूचना है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक रेस्क्यू टीमें सुरंग के अंदर पाइप और तारों के ढीले छोर को काटकर आगे बढ़ रही है। नौसेना के कमांडो और आईटीबीपी के साढ़े चार सौ जवानों, एनडीआरएफ की पांच टीमें, सेना की आठ टीमें और वायु सेना के पांच हेलीकॉप्टर बचाव कार्य के इस मोर्चे पर डटे हुए हैं। रेस्क्यू टीम लगातार मलबा हटाकर टनल में फंसे हुए लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, लेकिन मलबा ज्यादा होने के कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
180 मीटर दूर टी–प्वाइंट पर फंसे व्यक्तियों को बचाने को अब वैकल्पिक रास्ते पर विचार किया जा रहा है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। तीन दिन बीत जाने के बाद भी टनल में फंसे लोगों तक रेस्क्यू टीम नहीं पहुंचने के कारण आपदा पीड़ितों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने टनल साइट पर एनटीपीसी और प्रदेश सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाए। पीडि़तों का कहना था कि एक दो डोजर मशीनें टनल का पूरा मलबा कैसे साफ करेंगी। उन्होंने मंत्री और नेताओं के टनल और आपदा साइट आने पर रोक लगाने की भी मांग की। ताकि रेस्कयू का काम प्रभावित नहीं हो।