खेती कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, कमेटी सुनेगी किसानों की बात
लुधियाना (राजकुमार साथी)। केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए नए खेती कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक किसानों की बात सुनने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में तीन कृषि कानून संसद से पास कराए थे। इन कानूनों पर राष्ट्रपति ने भी अपनी मुहर लगा दी थी। किसान पिछले साढ़े तीन महीनों से इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। कुछ वकीलों ने भी इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, एग्रिकल्चर इकनॉमिस्ट अशोक गुलाटी और महाराष्ट्र के किसान संगठन के अनिल घनवत को शामिल किया गया है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को न किसानों की जीत और न सरकार की हार माना जा रहा है। किसानों का कहना है कि उनकी मांग कानूनों पर स्टे करना नहीं, बल्कि इन्हें रद्द कराना है। इस कारण उनका आंदोलन चलता रहेगा। सोमवार को कोर्ट ने किसानों के वकीलों से कहा था कि कानून का अमल रोकने के बाद आप प्रदर्शन जारी रख सकते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई यह कहे कि आंदोलन को दबाया गया है।
सरकार व किसानों की बात सुनेगी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई कमेटी किसानों से बातचीत करेगी। सरकार को भी इसमें अपना पक्ष रखने का मौका मिल सकेगा। कमेटी अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। उधर, आंदोलन कर रहे 40 संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि हम किसी कमेटी के सामने नहीं जाना चाहते, फिर भी एक बैठक कर इस पर फैसला लेंगे। हमारा आंदोलन जारी रहेगा। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सभी किसान नेता 15 जनवरी को सरकार के साथ 10वें दौर की बातचीत में हिस्सा लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों से कहा है कि वे अगर रामलीला मैदान या कहीं और प्रदर्शन करना चाहते हैं तो इसके लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर से इजाजत मांगें। अगर इजाजत मिलती है तो आंदोलन की जगह बदल सकती है। किसानों ने कहा था कि 26 जनवरी को वे ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर कहा है कि प्रदर्शन का अधिकार होने के ये मायने नहीं हैं कि दुनिया भर के सामने भारत की छवि खराब की जाए। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून के अमल को अभी सस्पेंड करना चाहते हैं, लेकिन बेमियादी तौर पर नहीं। ट्रैक्टर मार्च पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने एक याचिका दायर की थी। इस याचिका सुनवाई करते हुए कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। पुलिस ने दलील दी थी कि किसानों के ट्रैक्टर मार्च से कानून व्यवस्था भंग होने की आशंका है। गणतंत्र दिवस के दिन ऐसे आयोजनों को अनुमति नहीं दी जा सकती।