कांग्रेस के लिए वरदान साबित होंगे नगर कौंसिल के दोनों पूर्व प्रधान

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कांग्रेस के लिए वरदान साबित होंगे नगर कौंसिल के दोनों पूर्व प्रधान

अकाली दल में शामिल हुए कुक्कू और कांग्रेस के बाद अकाली दल भी छोड़ आजाद उम्मीदवार बनेंगे मल्होत्रा

जंडियाला गुरू (सुरेंद्र कुमार)  नगर कौंसिल चुनाव  का बिगुल किसी भी क्षण बजने वाला है। नए साल के शुरूआती महीनों में ही चुनाव होने की संभावनाओं के चलते सभी पार्टियां जीत की शतरंज पर अपनीअपनी गोटियां फिट करने में जुट गई हैं। पिछले दो कार्यकाल के दौरान कांग्रेस की टिकट पर नगर कौंसिल के प्रधान रह चुके रविंदरपाल सिंह कुक्कू इस समय अकाली दल की झोली में जा चुके हैं और पूर्व प्रधान राजकुमार मल्होत्रा 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित होकर अकाली दल का चक्कर लगा चुके हैं। यह दोनों नेता अपनेअपने आकाओं पूर्व विधायकों मलकीत सिंह एआर और अजयपाल सिंह मीरांकोट जो के विधानसभा 2022 के चुनाव में अकाली दल से टिकट हासिल करने में जुटे हैं। राजनीतिक माहिरों का मानना है कि इन दोनों में जो भी अकाली दल से टिकट पाने में विफल रहा, वह टिकट हासिल करने वाले को हराने का काम कर सकता है।

यह स्थिति कांग्रेस के लिए वरदान साबित होगी और दो पूर्व प्रधानों की लड़ाई में सत्ता पक्ष के उम्मीदवार के जीतने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। हालांकि हल्का विधायक सुखविंदर सिंह डैनी लगातार पार्टी के उम्मीदवार को जिताने के लिए विकास कार्यों में जुटे हुए हैं। जिस कारण चुनाव से पहले ही यहां कांग्रेस की जीत के दावे शुरू हो चुके हैं। डैनी ने दावा किया कि केवल नगर कौंसिल चुनाव ही नहीं बल्कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में वे इस सीट को दोबारा जीतेंगे। हालांकि पूर्व विधायक मलकीत सिंह एआर और अजयपाल सिंह मीरांकोट भी अपनेअपने खेमे के नेताओं के लिए टिकट का बंदोबस्त करने और अकाली पार्षदों की खूबियां गिनाकर लोगों को लुभाने में जुटे हुए हैं। आम आदमी पार्टी ने फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि हाई कमान से कोई दिशानिर्देश आने के बाद ही वे खुलकर कुछ बता सकते हैं। क्योंकि यह चुनाव केवल 2022 के विधानसभा चुनावों का सेमिफाइनल है। उधर, राजकुमार मल्होत्रा ने दावा किया कि वे कुछ दिन के लिए अकाली दल में गए थे, लेकिन वहां उनका मन नहीं लगा। इस लिए वे आजाद प्रत्याशी के तौर पर ही किस्मत आजमाएंगे। कुल मिलाकर जंडियाला गुरू नगर कौंसिल चुनाव के अध्यक्ष पद के लिए जो हालात बन रहे हैं, उससे कांग्रेस को ही सीधासीधा फायदा होता दिख रहा है।

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