आज धूमधाम से मनाया जा रहा है छठ महापर्व, अघ्र्य के लिए सज चुके हैं घाट

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पूर्वांचल का सबसे बड़ा त्योहार है छठ, नहीं है कोई जाति या धर्म का बंधन

लुधियाना (राजकुमार साथी) पूर्वांचल के सबसे बड़े त्योहार छठ महापर्व के लिए शहर के सभी घाट सज चुके हैं। आज यानि रविवार की शाम को अस्त होते सूर्यदेव का पहला अघ्र्य दिया जाएगा और सोमवार को सुबह उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही यह 36 घंटे का व्रत संपन्न हो जाएगा। लोक आस्था का छठ महापर्व को लेकर पूरी राजधानी में भक्ति उल्लास का वातावरण है। हर ओर छठी मैया के गीत सुनायी दे रहे हैं। छठ घाटों की साफसफाई पूरी हो चुकी है। अब साजसज्जा की जा रही है। रंगबिरंगे लाइटों से घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है। पूजा समितियों द्वारा जलाशय तक आने वाले मार्ग में जगहजगह तोरण द्वार बनाये गए हैं। दो सालों के बाद छठ घाटों पर आस्था का अनुपम नजारा देखने को मिलेगा। आज डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सूर्यास्त का समय 05.12 बजे है। इससे दो घंटे पहले से छठ घाटों पर अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटना शुरु हो जाएगा। जलाशय में डूबकी लगाने के बाद हाथ में नारियल फल लेकर व्रती सूर्यास्त होने तक सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करेंगे। सूर्यास्त से ठीक पहले श्रद्धालु निर्मल काया और सुखसमृद्धि के लिए सूर्य देव को गाय के दूध, गंगाजल आदि से अर्घ्य देंगे। वहीं, सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सूर्याेपासना का महापर्व संपन्न हो जाएगा। शनिवार को संध्या में खरना हुआ। व्रती दिनभर उपवास में रहे। सूर्यास्त के बाद स्नान आदि से निवृत होकर पूजा पर बैठे। नियमनिष्ठापूर्वक मिट्टी के चूल्हे पर खरना का प्रसाद बने। प्रसाद के रूप में गाय के दूध में बने खीर, रोटी, मिष्ठान्न, फल आदि भगवान सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित किया गया। आराधना के उपरांत व्रतियों ने दंडवत होकर छठी मैया से व्रत पूरा करने की शक्ति मांगी। स्वजनों की खुशहाली और आरोग्य की कामना की। पूजा के बाद व्रतियों ने भोग प्रसाद ग्रहण किया। व्रतियों के पैर छूकर आशीर्वाद लेने के लिए स्वजनों के साथ पड़ोसियों में होड़ लग गई। व्रतियों ने आशीर्वाद स्वरूप प्रसाद बांटे। देर रात तक व्रतियों के घर प्रसाद लेने के लिए इष्टमित्र आते रहे। खरना प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का कठिन व्रत आरंभ हो गया। व्रती अगले दो दिनों तक पूरे नियम निष्ठा से व्रत करेंगे। उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण होगा। इस दौरान व्रती बिस्तर त्यागकर नीचे ही सोयेंगे। पूरे घर में स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाएगा।

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