मोबाइल चोर व जेबकतरे बना रहे यात्रियों को शिकार, गाड़ी छूटने के डर से थाने भी नहीं जा रहे पीड़ित
लुधियाना (देव सहगल/गगन अरोड़ा)। रेलवे स्टेशन पर चल रहे अपग्रेडेशन और सौंदर्यीकरण के काम के चलते जहां रेलवे स्टेशन का एक हिस्सा पूरी तरह बंद कर दिया गया है, लेकिन यात्रियों की सुविधा के लिए नया रास्ता बनाकर जनरल टिकट विंडो और रिज़र्वेशन काउंटर खोले गए ।
ऐसा करते समय शायद यात्रियों और उनको स्टेशन तक छोड़ने आने वालों को रेलवे पुलिस ने चोरों और जेबकतरों के हवाले कर दिया है। रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। प्लेटफार्म नम्बर एक पर ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं होने के कारण बाकी प्लेटफार्मों पर यात्रियों की भीड़ लगातार लगी रहती है। मगर यात्रियों की संख्या के मुकाबले में सुरक्षा व्यवस्था शून्य ही दिखाई पड़ती है। इन भीड़ वाले प्लेटफार्मों और नई बनी टिकट विंडो पर अधिक भीड़ होने के बावजूद यहां इक्का–दुक्का ही पुलिसकर्मी दिखाई देते हैं। ऐसे में मोबाईल फोन चोर और जेबकतरे खुलेआम घूमते और अपने काम को अंजाम देकर रफूचक्कर होते साफ दिखाई देते हैं। इनका शिकार हुए यात्री और उनके परिजन इन चोरों को रोक भी नहीं पा रहे हैं। एक अनुमान के तौर पर दर्जन भर यात्री या उनके रिश्तेदार हर रोज इन चोरों का शिकार बन रहे हैं।
मगर यात्रा को बीच में छोड़ पुलिस के पास रिपोर्ट करने का समय इनके पास नहीं होने के कारण चोरों से हौसले लगातार बुलंद हो रहे हैं। भीड़ अधिक होने के कारण पीड़ित व्यक्ति उसका सामान चोरी करके भागने वालों की शिनाख्त भी नहीं कर पाता। जब वे किसी पुलिस कर्मी को देखकर उसे घटना की जानकारी देते हैं तो उक्त पुलिस कर्मी उनकी मदद करने की बजाय जीआरपी थाने जाने के लिए कह देते हैं। लेकिन ट्रेन छूट जाने के डर से अधिकतर पीड़ित यात्री थाने तक नहीं पहुंचते। इस लिए यह घटनाएं रिकॉर्ड नहीं हो पातीं। कोई व्यक्ति अगर हिम्मत करके थाने पहुंच भी जाए तो उसे अपना सामान संभालकर रखने का लंबा–चौड़ा लेक्चर सुनने को मिल जाता है। इस कारण पीड़ित व्यक्ति थाने जाने की बजाय घर जाना ही पसंद करते हैं। उधर, थाने पर तैनात अधिकारियों का कहना है कि जब कोई उनके पास रिपोर्ट लिखाने आता है तो ही कार्रवाई की जाती है। मगर ज्यादातर लोग रिपोर्ट लिखाने से बचते हैं। पुलिस यात्रियों की सुरक्षा के लिए ही तैनात है और समय–समय पर चोरों पर कार्रवाई करती है।
रेल लाइन पार कर करते यात्रियों को रोकने वाला कोई नहीं
रेलवे लाइन को अवैध तरीके से पार करने पर रेलवे एक्ट की धारा 147 के तहत संबंधित व्यक्ति पर केस दर्ज होता है और उसे छह माह की सजा या एक हजार रुपए जुर्माना किए जाने का प्राविधान है, मगर इसके बावजूद लोग कार्रवाई की परवाह किए बगैर लगातार रेल लाइन पार करते देखे जा सकते हैं। अगर कोई आरपीएफ या अन्य पुलिस कर्मी इन्हें रोकने की कोशिश करता है तो भी यह लोग उसकी परवाह किए बिना वहां से भाग खड़े होते हैं।