रामविलास पासवान के निधन के शोक में झुका राष्ट्रघ्वज, मोदी, राहुल और राष्ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि
दिल्ली। बिहार की राजनीति में विशेष स्थान रखने वाले व लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन होने के बाद आधा राष्ट्रध्वज झुका दिया गया। उनके दिल व किडनी ने काम करना बंद कर दिया था। वे कुछ दिनों से आईसीयू में थे। वीरवार की सुबह दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हो गया था।
दिल्ली स्थित उनके निवास पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई बड़े नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचे। विमान से उनका पार्थिव शरीर पटना ले जाया जाएगा, जहां शनिवार को जनार्दन घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। राम विलास पासवान के निधन के बाद देश में शोक का माहौल है।
उनके निधन के बाद शोक में राष्ट्रपति भवन सहित पूरे देश में राष्ट्रध्वज झुका दिया गया। शुक्रवार की सुबह एम्स से केमिकल ट्रीटमेंट कराने के बाद 12 जनपथ में उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया। पटना ले जाने के बाद उनका पार्थिव शरीर विधानसभा भवन व एलजेपी कार्यालय में रखा जाएगा। राम विलास पासवान की तबीयत बीते कुछ समय से खराब चल रही थी। करीब एक सप्ताह पहले अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण तीन अक्टूबर को उनके दिल का ऑपरेशन करना पड़ा था।
राजनीति में लालू–नीतीश से सीनियर थे रामविलास
1969 में पहली बार विधायक बने पासवान अपने साथ के नेताओं, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से सीनियर थे। 1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो पासवान को गिरफ्तार कर लिया गया, 1977 में उन्होंने जनता पार्टी की सदस्यता ली और हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से जीते। तब सबसे बड़े मार्जिन से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड पासवान के नाम ही दर्ज हुआ।
11 बार चुनाव लड़ा, 9 बार जीते
2009 के चुनाव में पासवान हाजीपुर की अपनी सीट हार गए थे। तब उन्होंने एनडीए से नाता तोड़ राजद से गठजोड़ किया था। चुनाव हारने के बाद राजद की मदद से वे राज्यसभा पहुंच गए और बाद में फिर एनडीए का हिस्सा बन गए। 2000 में उन्होंने अपनी लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) बनाई। पासवान ने अपने राजनीतिक जीवन में 11 बार चुनाव लड़ा और 9 बार जीते। 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने नहीं लड़ा, वे राज्यसभा सदस्य बने। वर्तमान में वे मोदी सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे। अंबेडकर जयंती के दिन राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा पासवान की पहल पर ही हुई थी। राजनीति में बाबा साहब, जेपी, राजनारायण को अपना आदर्श मानने वाले पासवान ने राजनीति में कभी पीछे पलट कर नहीं देखा। वे मूल रूप से समाजवादी बैकग्राउंड के नेता थे।