डाइंग इंडस्ट्री के मालिक तालाबंदी से देंगे नगर निगम के नोटिसों का जवाब – तरुण जैन बावा

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जिला प्रशासन को दिया 15 जुलाई तक का समय , बुड्ढे दरिया को प्रदूषण मुक्त करने के लिए आए 650 करोड़ रुपए के मांगा हिसाब

लुधियाना (दीपक साथी)। विभिन्न एनजीओ की ओर से बुड्ढे नाले के प्रदूषण संबंधी आवाज बुलंद करने को लेकर नगर निगम ने शहर की 33 डाइंग फैक्ट्रियों को सीवरेज क्नैकशन काटने का नोटिस जारी कर दिए। इसके जवाब में डाइंग इंडस्ट्री से संबंधित उद्योगपतियों का कहना है कि इसका जवाब 15 जुलाई के बाद डीसी दफ्तर, नगर निगम के चारों जोन, पंजाब म्यूंसिपल इंफ्रास्ट्र्चर डेवलपमैंट कंपनी (पीएमआईडीसी) तथा पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लुधियाना व पटियाला दफ्तर की तालाबंदी करके दिया जाएगा।
यहां आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान फेडरेशन ऑफ हौजरी एंड टैक्सटाइल मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशंस लुधियाना के अध्यक्ष तथा शेर-ए-पंजाब अकाली दल के कोषाध्यक्ष तरुण जैन बावा ने कहा कि बुड्ढे दरिया में कुल 1400 एमएलडी (मिलियन लिक्विड डिस्चार्ज) पानी पड़ता है। इसमें से सिर्फ 150 एमएलडी ही डाइंग फैक्ट्रियों का तथा बाकी का 1250 एमएलडी शहरवासियों का होता है। मगर बुड्ढे दरिया के प्रदूषण का सारा ठीकरा डाइंग यूनिटों के सिर पर फोड़ा जा रहा है। जबकि बहादुरके रोड के डाइंग यूनिटों ने 107 एमएलडी क्षमता वाला वाटर इन्फ्लूएंट प्लांट लगा रखा है। कोई भी डाइंग यूनिट अपना पानी सीधे तौर पर सीवरेज या बुड्ढे दरिया में नहीं डालता। इसके बावजूद डाइंग यूनिट वालों को ही परेशान किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री थे तो केंद्रीय जल संसाधान मंत्री गजेंद्र शेखावत ने बुड्ढे दरिया को प्रदूषण मुक्त करने तथा इसका पुराना स्वरूप बहाल करने के लिए 400 करोड़ रुपए भेजे थे। उस समय पंजाब सरकार ने नगर निगम लुधियाना हाऊस की मंजूरी लिए बिना ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 650 करोड़ के प्रोजैक्ट को मंजूरी दे दी थी। वह 650 करोड़ रुपए कहां गए, किसी को नहीं पता। सरकार ने बुड्ढे दरिया के पानी की क्षमता जांचे बिना ही डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की थी। इसी कारण सरकार की ओर से लगाए गए एसटीपी भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। तरुण जैन बावा ने कहा कि 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने वाटर इन्फ्लूएंट प्लांट लगाने के लिए ताजपुर जेल के पास 32 एकड़ भूमि दी थी। बाकी इंडस्ट्री वाले भी यह प्लांट लगाने को तैयार हैं, मगर सरकार इसके लिए उन्हें भूमि ही देने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि अब उद्योगपति सरकार व प्रशासन से 650 करोड़ रुपए का हिसाब मांगेंगे, क्योंकि यह पैसा उनके द्वारा दिए गए टैक्स का है। इसके लिए प्रशासन को 15 जुलाई का समय दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन 650 करोड़ रुपए का हिसाब नहीं दे पाया तो उस दिन हजारों उद्योगपति व शहरवासी इक्टठा होकर पहले कांफ्रेंस करेंगे और उसके बाद डिप्टी कमिश्नर, नगर निगम के चारों जोन, पंजाब म्यूंसीपल इंफ्रास्ट्र्चर डेवलपमेंट कंपनी (पीएमआईडीसी) तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लुधियाना व पटियाला दफ्तरों पर तालाबंदी की जाएगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करके 650 करोड़ के घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की जाएगी। इस मौके पर मौजूद शेर-ए-पंजाब के कार्यकारी अध्यक्ष बूटा सिंह व महासचिव बलविंदर सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी इस मामले में इंडस्ट्र के साथ है तथा हर आंदोलन में बढ़-चढक़र हिस्सा लिया जाएगा।

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