केवल सुबह व शाम के समय ही काटता है डेंगू का मच्छर

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केवल सुबह शाम के समय ही काटता है डेंगू का मच्छर

घुटनों तक ही काटता है यह मच्छर, इसलिए ढंककर रखें लोयर लिंब्स

ज्यादा ऊंची नहीं होती डेंगू के मच्छर की उड़ान, तीन फुट से ऊंचा नहीं उड़ सकता

  • मादा मच्छर एक बार में देती है 100 से 300 अंडे
    दो से सात दिन में बन जाता है इन अंडों से लारवा
    चार दिन में पपा (मच्छर की शेप लेकर) बनता है यह लारवा
    दो दिन बाद उडऩे लायक हो जाता है यह मच्छर
    एक महीने तक ही होती है डेंगू के मच्छर की लाइफ
    एक मादा मच्छर अपने जीवन में 500 से 1000 मच्छर पैदा कर देती है
    केवल सुबह शाम के समय ही काटता है यह मच्छर
    दोपहर और रात को छुप जाता है नमी वाली जगहों में

लुधियाना (राजकुमार साथी) इन दिनों डेंगू का सीजन चल रहा है। अक्टूबर व नवंबर को इसका पीक सीजन माना जाता है। जब तक तापमान नीचे गिरकर 15-16 डिग्री तक नहीं आ जाता, तब तक इसका सीजन चलता है। अब तक डेंगू के हजारों पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि डेंगू फैलाने वाली ऐडीज इगयप्ति नामक मादा मच्छर की उम्र एक महीना तक ही होती है। लेकिन इस जीवन काल में वह 500 से लेकर 1000 तक मच्छर पैदा कर देती है। यह मच्छर तीन फुट से ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ सकता, इस कारण केवल लोयर लिंब्स पर ही इसका डंक चलता है। मादा मच्छर कूलर, गमलों, फ्लॉवर पॉट, छत पर पड़े पुराने बर्तनों व टायर इत्यादि में भरे पानी और आबादी के आसपास गड्ढों में लंबे समय तक खड़े साफ पानी में अपने अंडे देती है। यह एक बार में 100 से लेकर 300 तक अंडे देती है। अंडों से लारवा बनने में 2 से 7 दिन लगते हैं। लारवा के बाद 4 दिन में यह पपा (मच्छर की शेप) बन जाता है और 2 दिन बाद उडऩे लायक मच्छर बन जाता है।

Larva
  • मार्निंगइवनिंग में ही लगता है डेंगू का डंक
    जिला एपिडेमॉजिस्ट डॉ.रमेश भगत के मुताबिक डेंगू का मच्छर केवल सुबह और शाम के समय ही काटता है। दोपहर और रात को यह घर के कोने, पर्दे के पीछे या नमी वाली जगह पर छुप जाता है। यह मच्छर ज्यादा ऊंची उड़ान नहीं भर सकता। इस कारण केवल पैरों से लेकर घुटनों तक (लोयर लिंब्स) पर ही काटता है। एक मादा मच्छर एक बार में 100 से लेकर 300 तक अंडे देती है और ऐसा वह अपने एक महीने के जीवन काल में 4 से 5 बार करती है।

कई बीमारियों के वायरस को फैलाती है ऐडीज इगयप्ति

ऐडीज इगयप्ति नामक मादा मच्छर केवल डेंगू के वायरस को ही इंसान के शरीर में नहीं भेजती, बल्कि यह चिकनगुनिया, येलो फीवर व जीका वायरस के लिए भी एजेंट का काम करती है। इन बीमारियों का वायरस भी इसी मच्छर के माध्यम से एक इन्फेक्टेड इंसान से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है।

डेंगू से बचने के लिए क्या करें

डेंगू के डंक से बचने के लिए शरीर को पूरी तरह ढंकने वाले कपड़े पहनने चाहिए। सोते समय मच्छरदानी, मच्छर भगाने वाले लोशन व तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। टूटे बर्तन, पुराने टायर व ड्रम इत्यादि को खुले में नहीं फेंके। घरों के कूलरों, फ्लावर पॉट, गमलों व टंकी में ज्यादा दिनों तक पानी खड़ा नहीं होने दें। बुखार होने पर पैरासिटामोल की टेबलेट लें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। तेज बुखार, सिरदर्द, मांस पेशियों में दर्द, स्किन पर लाल रंग के दाने निकलना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जोड़ों में दर्द, सूजन आना, मसूड़ों व नाक से खून निकलना डेंगू के लक्ष्ण हो सकते हैं। ऐसा होने पर तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

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